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वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर धाम में लाखों के गबन का नया मामला, पूर्व एकाउंटेंट पर केस दर्ज

वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर धाम में लाखों के गबन का नया मामला, पूर्व एकाउंटेंट पर केस दर्ज

स्वर्वेद महामंदिर धाम के पूर्व एकाउंटेंट विवेक कुमार पर 1.65 लाख के गबन व फर्जी दस्तावेज उपयोग का मुकदमा दर्ज, बैंक मैनेजर भाई भी शामिल।

वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर धाम में दानराशि से जुड़ा एक और गंभीर मामला सामने आया है। मंदिर के पूर्व एकाउंटेंट विवेक कुमार के खिलाफ फिर से गबन का मुकदमा दर्ज किया गया है। इस बार आरोप केवल वित्तीय अनियमितता तक सीमित नहीं है बल्कि फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल की बात भी सामने आई है। मंदिर प्रशासन पहले से ही कई बार उठ चुकी गड़बड़ियों से चिंतित है और इसी वजह से पूरे मामले पर करीबी नजर रख रहा है।

दरअसल बर्द्धमान पश्चिम बंगाल के रहने वाले दानदाता गणेश बर्णवाल ने विहंगम योग के एक सौ एकवें वार्षिकोत्सव के लिए एक लाख पैंसठ हजार रुपये जुटाए थे और इसे उन्होंने विश्वास के साथ पूर्व एकाउंटेंट विवेक कुमार को सौंप दिया था। गणेश ने बताया कि विवेक ने उन्हें एचडीएफसी बैंक की एक नकद जमा पर्ची भेजी जिसमें दावा किया गया था कि पूरी राशि ट्रस्ट के खाते में जमा कर दी गई है। बाद में जब इस पर्ची की जांच की गई तो यह फर्जी निकली और बैंक खाते में एक भी रुपया जमा नहीं मिला। इस खुलासे ने पूरे प्रबंधन को हैरान कर दिया क्योंकि इससे पहले भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के कारण विवेक को जेल भेजा जा चुका है।

गणेश बर्णवाल की तहरीर के आधार पर विवेक के साथ उसके भाई अभिषेक कुमार पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है। अभिषेक बैंक मैनेजर के पद पर है और जांच एजेंसियों के अनुसार उसने इस फर्जी लेनदेन में सहयोग किया। दोनों पर चोरी, धोखाधड़ी और गबन की धाराओं में मामला दर्ज हुआ है। पुलिस ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है और संबंधित दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि दानराशि से जुड़े पुराने मामलों में भी ऐसे किसी नेटवर्क या मिलीभगत का हाथ रहा है या नहीं।

प्रभारी निरीक्षक अजीत कुमार वर्मा ने बताया कि डीसीपी वरुणा जोन के निर्देश पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि यह मामला संवेदनशील है और इसकी निष्पक्ष विवेचना की जा रही है। मंदिर प्रशासन ने भी स्पष्ट किया है कि दानदाताओं का विश्वास बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इसी कारण हर स्तर पर पारदर्शिता से जांच आगे बढ़ाई जा रही है। पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल उठा दिया है कि धार्मिक संस्थानों की वित्तीय सुरक्षा के लिए और कौन से कदम जरूरी हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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