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वाराणसी: तालाब में डूबने से दो मासूमों की मौत, राजनहिया गांव में छाया मातम

वाराणसी: तालाब में डूबने से दो मासूमों की मौत, राजनहिया गांव में छाया मातम

वाराणसी के सारनाथ थाना क्षेत्र के राजनहिया गांव में तालाब में डूबने से दो मासूम बच्चों, मनीष (14) और शुभम (10) की दर्दनाक मौत हो गई, जिससे पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।

वाराणसी: सारनाथ थाना क्षेत्र के राजनहिया गांव में शनिवार की शाम एक हृदय को झकझोर देने वाली घटना घटित हुई, जिसने पूरे गांव को शोक और स्तब्धता में डुबो दिया। गांव के दो मासूम बच्चे मनीष (14) और शुभम (10) गांव के तालाब में नहाने के दौरान डूब गए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब दोनों बच्चे स्कूल से लौटने के बाद भोजन कर खेलने के बहाने घर से निकले और गांव के बाहर स्थित तालाब में नहाने चले गए थे।

मनीष, बबलू राजभर का बेटा था और सथवा स्थित एक निजी विद्यालय में कक्षा आठ का छात्र था। वहीं शुभम, दिलीप राजभर का बेटा था, जो रजनहिया स्थित प्राथमिक विद्यालय में तीसरी कक्षा में पढ़ता था। दोनों के पिता मेहनत-मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। मनीष अपने परिवार में सबसे छोटा था, जबकि शुभम दो भाइयों में बड़ा था। दो अलग-अलग घरों के ये बच्चे, लेकिन एक जैसी मासूमियत और चंचलता के प्रतीक, हमेशा साथ-साथ नजर आते थे।

शाम होते-होते जब दोनों बच्चे घर नहीं लौटे तो परिजनों की चिंता बढ़ने लगी। काफी देर तक खोजबीन के बाद एक पड़ोसी ने बताया कि वे तालाब की ओर गए थे। जब परिजन वहां पहुंचे, तो तालाब के किनारे दोनों बच्चों के कपड़े पड़े थे। आनन-फानन में आसपास के लोगों की मदद से बच्चों को तालाब से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दोनों की सांसें थम चुकी थीं। घर के आंगन में चीख-पुकार और मातम का ऐसा दृश्य था जिसे देख गांव का हर शख्स भावुक हो उठा।

मनीष की मां बबली देवी की करुण पुकार “काहे छोड़ गइलन हो हमार लाल...”हर किसी की आंखें नम कर गई। वह बार-बार बेसुध हो जा रही थीं, कभी बेटे की किताबें पकड़ रो पड़तीं, कभी उसकी तस्वीर को सीने से लगाकर गुम हो जातीं। वहीं शुभम की मां राधिका का क्रंदन “हमार खा के गयल रहलन, खेले कहा हेरा गइलन…”इतना मार्मिक था कि उसे सुनकर पास खड़े लोग भी अपने आंसू नहीं रोक सके। दो माताएं, जिनकी गोद उजड़ चुकी थी, अब जीवन भर के लिए एक खालीपन का बोझ लेकर जीने को मजबूर हो गईं।

पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। राजभर बस्ती के किसी घर में चूल्हा नहीं जला। लोग सन्न थे, मौन थे। गांव के बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक हर किसी का चेहरा दुख से भरा हुआ था। बच्चों की अचानक मौत ने लोगों को झकझोर दिया। पास के तालाब के किनारे चुपचाप खड़े लोग उस दृश्य को याद कर सिहर उठे। किसी ने नहीं सोचा था कि रोजमर्रा की मासूम दिनचर्या इस कदर किसी को असमय काल के गाल में समेट लेगी।

हालांकि घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी गई और परिजनों ने ही स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन मामला सामने आने के बाद सारनाथ थाना प्रभारी विवेक त्रिपाठी ने बताया कि परिजनों से बातचीत की जा रही है।

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