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पंचायत चुनाव: प्रदेश के 37 जिलों में वार्ड पुनर्गठन पर आपत्तियां आमंत्रित

पंचायत चुनाव: प्रदेश के 37 जिलों में वार्ड पुनर्गठन पर आपत्तियां आमंत्रित

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत 37 जिलों में वार्ड पुनर्गठन पर जनता से 30 जुलाई से 2 अगस्त तक आपत्तियां मांगी जाएंगी।

लखनऊ: प्रदेश में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत वार्डों के पुनर्गठन की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनावों की पृष्ठभूमि में वार्ड परिसीमन की विस्तृत कार्ययोजना लागू की गई है, जिसके तहत मंगलवार, 30 जुलाई से प्रदेश के 37 जिलों में वार्ड पुनर्गठन पर आम जनता से आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। यह प्रक्रिया 2 अगस्त तक जारी रहेगी। इसके बाद जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में गठित कमेटियां इन आपत्तियों का निस्तारण करेंगी।

पंचायतीराज विभाग के अनुसार, ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया पहले ही पूर्ण की जा चुकी है, जिसके बाद अब वार्डों के नए सिरे से निर्धारण की कार्रवाई जारी है। उल्लेखनीय है कि इस बार प्रदेश की 514 ग्राम पंचायतों को विलोपित किया गया है, जिससे ग्राम पंचायतों की कुल संख्या घटकर 57,695 रह गई है। पुनर्गठन के उपरांत, 6 अगस्त से लेकर 10 अगस्त तक वार्डों की अंतिम सूची प्रकाशित की जाएगी, जिससे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की नींव को स्पष्ट रूप से स्थापित किया जा सके।

इस बीच, नगर विकास विभाग द्वारा नगर निकायों के नए गठन और सीमा विस्तार के प्रस्तावों को लेकर भेजे गए पत्र ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। विभाग द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव के बावजूद पंचायतीराज विभाग द्वारा वार्ड परिसीमन और मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य जारी है। पंचायतीराज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए पत्राचार किया है, लेकिन पत्र का उत्तर आने से पूर्व ही विभाग द्वारा संबंधित प्रक्रियाओं को यथावत जारी रखा गया है।

पंचायत चुनावों के दृष्टिगत एक और बड़ा फैसला यह है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले नगरीय सीमाओं का विस्तार प्रस्तावित किया गया है। ऐसे में ग्राम पंचायतों के परिसीमन और मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर रोक की संभावना प्रबल हो गई है। सूत्रों के अनुसार, इस संदर्भ में स्पष्ट आदेश 1 से 2 अगस्त के बीच जारी किए जा सकते हैं, जिससे आगामी कार्यों की दिशा स्पष्ट हो सके।

पंचायतीराज विभाग ने 21 मई को शासनादेश जारी कर यह निर्देश दिया था कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के मद्देनजर नगर निकायों का गठन और उनकी सीमा विस्तार की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित रखी जाए। इसके साथ ही, विभाग ने ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों के वार्ड परिसीमन का विस्तृत कार्यक्रम भी लागू कर दिया, जो 18 जुलाई से पूरे प्रदेश में क्रियान्वित हो रहा है। इसी क्रम में राज्य निर्वाचन आयोग ने 11 जुलाई को मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्यक्रम भी जारी किया, जो आगामी चुनावों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

हालांकि, नगर विकास विभाग द्वारा 97 नए नगर निकायों के गठन और 107 निकायों के सीमा विस्तार संबंधी प्रस्ताव राज्य सरकार के पास विचाराधीन हैं। विभाग ने पंचायतीराज विभाग से 21 मई के शासनादेश को रद्द करने का अनुरोध भी किया है, ताकि नगरीय सीमा विस्तार की प्रक्रिया शुरू की जा सके। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने स्पष्ट किया है कि पहले नगरीय क्षेत्रों के विस्तार से संबंधित प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा, उसके उपरांत ही पंचायत चुनाव संबंधी अन्य प्रक्रियाएं पूरी होंगी। इससे यह संकेत मिल रहा है कि पंचायत चुनाव से पहले प्रदेश में शहरी और ग्रामीण सीमाओं के समायोजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिससे चुनावी व्यवस्था अधिक सुसंगत और व्यावहारिक बन सके।

पंचायत चुनावों की तैयारियों के बीच विभागीय समन्वय की कमी और निर्णयों में देरी ने स्थिति को उलझा दिया है। जहां एक ओर प्रशासनिक अमला चुनावी रूपरेखा को अंतिम रूप देने में जुटा है, वहीं दूसरी ओर नगरीय निकायों के प्रस्तावों और परिसीमन प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। आगामी आदेशों और स्पष्ट निर्देशों की प्रतीक्षा के साथ, पंचायत चुनावों की घड़ी धीरे-धीरे नजदीक आ रही है।

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