लखनऊ: प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के लिए एक अहम और संवेदनशील कदम उठाया गया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने सख्त निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब शिक्षक न तो बच्चों को फटकारेंगे, न छड़ी से मारेंगे, न चिकोटी काटेंगे और न ही चाटा मारेंगे। इसके साथ ही किसी भी प्रकार का मानसिक उत्पीड़न भी पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
यह निर्देश राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग के आदेशों के आधार पर जारी किया गया है। विभाग ने कहा है कि विद्यालयों में पढ़ रहे प्रत्येक छात्र को शारीरिक व मानसिक दंड से पूरी तरह सुरक्षित वातावरण दिया जाएगा। इस संदेश का व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा ताकि स्वयं बच्चे भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें और यदि उनके साथ कोई दुर्व्यवहार होता है तो वे निडर होकर अपनी बात संबंधित अधिकारियों तक पहुंचा सकें।
शिकायत के लिए होगी विशेष व्यवस्था
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को निर्देश दिए हैं कि हर स्कूल—चाहे वह छात्रावास वाला विद्यालय हो, जेजे होम हो या बाल संरक्षण गृह—में ऐसी व्यवस्था हो जहां बच्चे अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें। इसके लिए आवश्यकतानुसार एनजीओ की मदद भी ली जा सकती है।
हर विद्यालय में एक शिकायत पेटिका अनिवार्य रूप से लगाई जाएगी, जिसमें छात्र अपनी समस्याएं लिखित रूप में डाल सकेंगे। इन शिकायतों की समीक्षा अभिभावक-शिक्षक समिति करेगी और उन पर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
समीक्षा और निगरानी के निर्देश
शिक्षा विभाग ने ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर भी ऐसी प्रणाली बनाने के निर्देश दिए हैं जिससे बच्चों की शिकायतों और उन पर हुई कार्यवाही की नियमित समीक्षा की जा सके। आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम के नियमों का पालन करते हुए किसी भी बच्चे को शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न नहीं दिया जाएगा।
उल्लंघन की स्थिति में संबंधित शिक्षक या स्टाफ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव या दुर्व्यवहार पूरी तरह वर्जित रहेगा।
निषिद्ध गतिविधियां
नए निर्देशों के तहत बच्चों को झाड़ना, परिसर में दौड़ाना, चपत जमाना, घुटनों के बल बैठाना, कक्षा में अकेले बंद करना, यौन शोषण, प्रताड़ना, बिजली का झटका देना, अपमानित करना या किसी भी प्रकार से शारीरिक-मानसिक आघात पहुंचाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर
बच्चों और अभिभावकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर 1800-889-3277 जारी किया है। यह नंबर सभी विद्यालयों के नोटिस बोर्ड और मुख्य प्रवेश द्वार पर स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा ताकि कोई भी बच्चा या अभिभावक आसानी से शिकायत दर्ज करा सके।
इस नंबर पर आने वाली शिकायतों का न केवल शीघ्र निस्तारण किया जाएगा, बल्कि उनसे जुड़े सुझावों की मॉनिटरिंग कर ठोस कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी।
यह कदम न केवल विद्यालयों में बच्चों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को और अधिक मानवीय, संवेदनशील और भरोसेमंद बनाने का भी प्रयास है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को शारीरिक या मानसिक दंड देना अब वर्जित

बेसिक शिक्षा विभाग ने यूपी के सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों को शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना देने पर सख्त रोक लगाई है।
Category: uttar pradesh education child rights
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