दिल्ली में हुए बम धमाकों के बाद उत्तर प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट मोड अपनाते हुए अवैध मदरसों की गतिविधियों पर निगरानी और तेज कर दी है। जांच एजेंसियां अब न केवल व्हाइट कालर टेरर नेटवर्क पर ध्यान दे रही हैं, बल्कि उन अवैध मदरसों में रह रहे बाहरी छात्रों की भी पड़ताल शुरू कर रही हैं जिनकी गतिविधियों पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। प्रदेश भर में करीब साढ़े आठ हजार से अधिक अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 111 राजधानी लखनऊ में ही पाए गए हैं। इन मदरसों पर प्रशासनिक निगरानी न के बराबर है, जबकि सीमावर्ती जिलों में कई बार संदिग्ध तत्वों को पकड़ा जा चुका है।
हाल के वर्षों में हुई छापेमारियों ने कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। इसी वर्ष पांच मई को श्रावस्ती में जिला प्रशासन ने एक मदरसे पर छापा मारा था, जिसमें लैपटाप, इलेक्ट्रानिक गैजेट और आपत्तिजनक साहित्य बरामद किए गए। जांच में यह भी सामने आया कि वहां बच्चों को धार्मिक कट्टरता की शिक्षा दी जा रही थी। इससे पहले सिद्धार्थनगर और महाराजगंज में संचालित 602 मदरसों की जांच में 15 मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां पाई गई थीं। यह घटनाएं दिखाती हैं कि प्रदेश में अवैध रूप से चल रहे कई मदरसे सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं।
बलरामपुर में हाल में सामने आया जलालुद्दीन उर्फ छांगुर प्रकरण भी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क करने वाला मामला रहा। पिछले वर्ष लखनऊ के दुबग्गा इलाके में पुलिस ने आतुल कासिम अल इस्लामिया मदरसे से बिहार से लाए गए 21 बच्चों को मुक्त कराया था। बच्चों ने बताया कि उन्हें धार्मिक कट्टरपंथ की शिक्षा दी जा रही थी। इस तरह की शिकायतें पहले भी कई मदरसों के खिलाफ दर्ज होती रही हैं और अधिकतर मामलों में बच्चों के परिवारों को भी इसके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं होती।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह स्थिति नई नहीं है। जुलाई 2021 में काकोरी के सीते विहार कॉलोनी में एटीएस ने एक मदरसे से अलकायदा से जुड़े एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2017 में भी इसी इलाके में एटीएस ने आईएस के संदिग्ध सैफुल्ला को मुठभेड़ में ढेर किया था। पूर्व डीजीपी ए के जैन का भी कहना है कि दिल्ली की घटना के बाद लखनऊ कनेक्शन सामने आने से यह जरूरी हो जाता है कि संस्थानों पर सख्ती से निगरानी की जाए और उन स्थानों पर चौबीस घंटे सतर्कता रखी जाए जहां समूह में संदिग्ध गतिविधियां हो सकती हैं।
प्रदेश सरकार ने दो वर्ष पहले ही नेपाल सीमा से सटे जिलों में संचालित मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां मिलने के बाद राज्य भर के मदरसों की जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद लखनऊ प्रशासन ने 200 से अधिक मदरसों की जांच की। इस जांच में कई हैरान करने वाली बातें सामने आईं। रिपोर्ट में कहा गया कि 111 मदरसे बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहे थे। इनमें से कई धार्मिक संगठनों और संस्थाओं द्वारा संचालित थे, जिनकी फंडिंग और खर्च का कोई स्पष्ट ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया गया। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या, उनका विवरण और पते भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत नहीं किए गए। इससे प्रशासन के लिए इन संस्थानों की गतिविधियों को समझना और निगरानी रखना मुश्किल हो जाता है।
अधिकांश अवैध मदरसों में बच्चों को केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान की जा रही थी और वहां किसी प्रकार की अकादमिक या कौशल आधारित शिक्षा उपलब्ध नहीं थी। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सोम कुमार का कहना है कि अवैध मदरसों के नियंत्रण और निगरानी के लिए नए सिरे से नियमावली तैयार की जा रही है। शासन से दिशा निर्देश प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई तेज की जाएगी। प्रशासन का लक्ष्य ऐसे सभी मदरसों को पहचान कर उनकी गतिविधियों को पारदर्शी बनाना और बच्चों की सुरक्षा तथा शिक्षा के मानकों को सुनिश्चित करना है।
दिल्ली धमाकों के बाद यूपी में अवैध मदरसों पर सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगरानी

दिल्ली में हुए बम धमाकों के बाद यूपी में अवैध मदरसों की गतिविधियों पर सुरक्षा एजेंसियों ने निगरानी तेज कर दी है।
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