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वाराणसी पुलिस पर उठे सवाल, इंस्पेक्टर ने वकीलों को कहा कुत्ता? वीडियो हुआ वायरल

वाराणसी में कैंट इंस्पेक्टर का वकीलों को कुत्ता कहने का वीडियो वायरल, पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठे।

वाराणसी: जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी संभाल रही कमिश्नरेट पुलिस इन दिनों खुद सवालों के घेरे में है। सोशल मीडिया पर सामने आया एक वायरल वीडियो पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछले दिनों बड़ागांव थाने पर तैनात दरोगा मिथिलेश प्रजापति और उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मियों पर कचहरी परिसर में कुछ अज्ञात अधिवक्ताओं द्वारा हमला हमला हुआ था, यह वीडियो उसी दिन का बताया जा रहा है जिसमें थानाध्यक्ष कैंट शिवकांत मिश्रा और वकीलों के बीच बहस होती दिखाई देती है। बहस के दौरान इंस्पेक्टर का लहजा न केवल बेहद आक्रामक है बल्कि उन्होंने आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए वकीलों को कुत्ता कहकर संबोधित किया, जिसमे उनके द्वारा यह कहते हुए सुना जा सकता है की हिम्मत है तो कचहरी के बाहर अकेले आकर लड़ो, यहाँ तो कुत्ते भी शेर हो गए हैं। यह वीडियो सामने आते ही वकील समाज आक्रोशित हो गया और पुलिस के रवैये पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

अधिवक्ताओं का कहना है कि जब संविधान के प्रहरी माने जाने वाले वकीलों के लिए पुलिस अधिकारी इस तरह की भाषा और रवैये का उपयोग कर सकते हैं, तो आम नागरिकों के साथ उनका व्यवहार किस हद तक असंयमित और कठोर होगा, इसकी कल्पना करना कठिन नहीं है। वकीलों ने आरोप लगाया कि यह आचरण न केवल पुलिस की गरिमा को ठेस पहुंचाता है बल्कि यह पुलिस की गुंडई का खुला प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि अगर इस अधिकारी की कार्यशैली की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो यह भी सामने आ सकता है कि कितने निर्दोष लोग उनकी भाषा, तेवर और पद के दुरुपयोग का शिकार हो चुके हैं।

इस घटना ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार पुलिस अधिकारियों को संयम और शालीनता बनाए रखने की हिदायत दे चुके हैं। साथ ही वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस आयुक्त भी समय-समय पर अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश देते रहे हैं कि जनता से संवाद के दौरान किसी भी परिस्थिति में मर्यादा की सीमा न लांघी जाए। इसके बावजूद कैंट इंस्पेक्टर का यह वीडियो पुलिस विभाग की कार्यशैली और उसकी अनुशासन व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़ा करता है।

वकील समुदाय का कहना है कि अगर कानून के रखवाले ही कानून की धज्जियां उड़ाने लगें तो आम जनता का विश्वास इस व्यवस्था पर टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस विभाग से मांग की है कि इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी अधिकारी पर कठोर कार्रवाई की जाए। हमारे पास इस विवाद से जुड़ा वह वायरल वीडियो भी यूट्यूब पर उपलब्ध है जिसे हम इस पोस्ट में संलग्न कर रहे हैं, जिसमें कैंट इंस्पेक्टर की अभद्र भाषा और वकीलों को दी गई चुनौती साफ तौर पर सुनी जा सकती है। यह घटना केवल एक इंस्पेक्टर की बयानबाज़ी भर नहीं है, बल्कि यह पूरी पुलिस व्यवस्था की छवि को प्रभावित करने वाली है। अब देखना यह होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या वाकई अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वाले पुलिस अधिकारी पर कठोर कार्रवाई होती है या नहीं।

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