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वाराणसी: लालपुर में मासूम बच्ची से दुष्कर्म का प्रयास, भीड़ ने आरोपी को पीटा

वाराणसी: लालपुर में मासूम बच्ची से दुष्कर्म का प्रयास, भीड़ ने आरोपी को पीटा

वाराणसी के लालपुर पाण्डेयपुर में मासूम बच्ची से दुष्कर्म का प्रयास, गुस्साई भीड़ ने आरोपी को जमकर पीटा, पुलिस जांच जारी।

वाराणसी: एक बच्ची की मासूम चीख ने आज शहर के लालपुर पाण्डेयपुर इलाके की शांति को तोड़ दिया। यह चीख सिर्फ एक बच्ची के दर्द की नहीं, बल्कि एक समाज की नैतिक ज्वालामुखी का विस्फोट थी, जिसने देखते ही देखते एक आम रोज को एक ऐसी दर्दनाक और अविस्मरणीय घटना में बदल दिया, जिससे पूरा समाज एक बार फिर अपने अस्तित्व पर सवाल खड़ा करते हुए सिहर उठा। एक लगभग 6-7 वर्षीय मासूम बच्ची, जो कूड़ा बीनने वाले एक बंगाली परिवार की बेटी है, के साथ एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने बलात्कार की कोशिश की। लेकिन इस नृशंसता ने जिस तत्परता और आक्रोश को जन्म दिया, वह इस उम्मीद की एक किरण है कि समाज अब ऐसे जघन्य अपराधों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

घटना की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बच्ची के चिल्लाने की आवाज सुनकर मौके पर मौजूद और आस-पास के लोग तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए। जनाक्रोश इतना तीव्र था कि लोगों ने आरोपी को रंगे हाथों पकड़ लिया और उसके बाद उसकी जमकर पिटाई की। इस पूरे प्रकरण का वीडियो भी स्थानीय निवासियों ने बनाया, जो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया और पूरे देश में इस घटना ने लोगों के दिलों में एक गहरा झटका पहुंचाया। यह वीडियो न केवल आरोपी की पहचान के लिए, बल्कि उस जनाक्रोश के सबूत के तौर पर भी सामने आया है, जो अब ऐसे मामलों में तत्काल सामने आ रहा है।

पुलिस को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचना पड़ा, जहां उन्होंने आरोपी को गिरफ्तार कर अपने हिरासत में ले लिया और थाने ले गए। जांच में सामने आया कि आरोपी, जिसकी पहचान मिलन के रूप में हुई है, मूल रूप से आजमगढ़ जिले का रहने वाला है, जो वाराणसी में किराए के एक मकान में रहता था। वह पेशे से एक बेड मिस्त्री है और हुकुलगंज इलाके में दैतरा, बीर बाबा के पास अपनी एक फर्नीचर की दुकान चलाता था। पुलिस ने बच्ची को तुरंत चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराई और अब आरोपी से पूछताछ की जा रही है। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि आरोपी ने इस घटना को अंजाम देने के लिए मौके का फायदा उठाया, लेकिन स्थानीय लोगों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने न केवल बच्ची को और नुकसान होने से बचाया, बल्कि आरोपी को न्याय के कटघरे में लाने का रास्ता भी साफ किया।

यह घटना वाराणसी जैसे पवित्र और ऐतिहासिक शहर के लिए एक काला धब्बा है, लेकिन साथ ही, यह उस सामूहिक साहस और जिम्मेदारी की एक मिसाल भी है, जो आज के दौर में बेहद जरूरी हो गई है। जिस तरह से स्थानीय निवासियों ने बच्ची की चीख सुनकर तुरंत कार्रवाई की और आरोपी को बेधड़क होकर पकड़ा, वह इस बात का संकेत है कि आम जनता अब ऐसी वारदातों को नजरअंदाज नहीं करने को तैयार है। हालांकि, यह घटना एक बार फिर समाज और सुरक्षा व्यवस्था के समक्ष सवाल खड़े करती है कि आखिर कब तक हमारी बच्चियां इस तरह की हैवानियत का शिकार होती रहेंगी? कब तक उनकी मासूमियत को इस तरह कुचला जाता रहेगा? पुलिस की त्वरित कार्रवाई और आरोपी की गिरफ्तारी ने कानून के शासन में लोगों के विश्वास को बनाए रखा है, लेकिन अब जरूरत है कि इस मामले में त्वरित सुनवाई हो और दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई दूसरा ऐसा दरिंदा इस हद तक गिरने से पहले सौ बार सोचे।

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