वाराणसी: आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग कर साइबर अपराधियों ने शहर में एक दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया है। कोतवाली थाना क्षेत्र के गोविन्दजी नायक लेन निवासी अनुज कुमार गोठी और उनकी पत्नी मीतू गोठी के साथ तीन दिन तक ऑनलाइन मानसिक उत्पीड़न कर 81 लाख रुपये की बड़ी साइबर ठगी को अंजाम दिया गया। पति-पत्नी दोनों पहले से ही गंभीर बीमारी किडनी फेलियर से जूझ रहे थे और दोनों का किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका था। इलाज और भविष्य की जरूरतों के लिए उन्होंने अपनी पैतृक संपत्ति बेचकर बैंक खाते में रकम जमा की थी, जिसे जालसाजों ने बेहद सुनियोजित तरीके से उनके बैंक खातों से निकाल लिया।
घटना की शुरुआत 30 जून की शाम करीब चार बजे हुई, जब मीतू गोठी के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस या केंद्रीय एजेंसी से जुड़ा अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके मोबाइल नंबर से अश्लील संदेश भेजे जा रहे हैं और इसकी शिकायत थाने में दर्ज है। जब मीतू ने इन आरोपों से इनकार किया, तो कुछ देर बाद फिर से कॉल आया और उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज हो चुका है, जिसमें उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
डर के मारे मीतू ने जब स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की, तो कॉल करने वाले ने कहा कि यदि वे निर्दोष हैं तो जांच के बाद उन्हें छोड़ दिया जाएगा, लेकिन इसके लिए उन्हें आरबीआई के बताए गए "सुरक्षित सरकारी खाते" में अपने खाते में मौजूद पूरी राशि ट्रांसफर करनी होगी ताकि रकम की वैधता की पुष्टि हो सके। यहीं से शुरू हुआ तीन दिन का 'डिजिटल अरेस्ट', जिसमें मीतू को लगातार फोन पर रखा गया, निर्देश दिए गए, और धमकाया गया कि यदि किसी को जानकारी दी गई तो गिरफ्तारी पक्की है।
1 जुलाई को उन्होंने ठगों के बताए खाते में 30 लाख रुपये ट्रांसफर किए। इसके अगले दिन 2 जुलाई को 37 लाख रुपये और 14 लाख रुपये आरटीजीएस के जरिए फर्म के नाम पर खोले गए चालू खातों में भेज दिए। जब मीतू ने कहा कि अब खाते में और पैसा नहीं है, तो ठगों ने कॉल बंद कर दिया और सभी मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर दिए।
घबराई और मानसिक रूप से टूट चुकी मीतू ने इसके बाद अपने पति अनुज गोठी को पूरे मामले की जानकारी दी। जब दोनों को अहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं, तो 5 जुलाई को साइबर थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। वहां मीतू गोठी फूट-फूट कर रो पड़ीं। उन्होंने पुलिस अफसरों को बताया कि उन्होंने और उनके पति ने दोनों के किडनी ट्रांसप्लांट और इलाज के लिए अपनी पुश्तैनी संपत्ति बेच दी थी। बचे हुए पैसों से अब वे आगे के इलाज और जीवन-यापन की योजना बना रहे थे, लेकिन अब सबकुछ बर्बाद हो गया।
पीड़िता ने बताया कि अनुज पहले व्यवसाय करते थे, लेकिन बीमारी ने उन्हें आर्थिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया। इलाज के बाद वे किसी तरह जीवन को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच साइबर ठगों ने उनके खाते की जानकारी कैसे प्राप्त की, यह एक बड़ा सवाल है।
थाना प्रभारी निरीक्षक जगदीश कुशवाहा ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं। जिन बैंक खातों में पैसे भेजे गए हैं, वे चालू खाता (करंट अकाउंट) हैं जो किसी फर्म के नाम पर खोले गए थे। पुलिस तकनीकी विश्लेषण के जरिए मोबाइल नंबर, बैंक खातों और ट्रांजेक्शन की गहन जांच कर रही है।
इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए डीसीपी क्राइम सरवणन टी. ने बताया कि उच्च स्तरीय टीम जांच में जुटी है और पूरी कोशिश की जा रही है कि पीड़ित दंपती को उनका पैसा वापस दिलाया जा सके। साइबर अपराधियों के नेटवर्क तक पहुंचने के लिए तकनीकी साक्ष्यों की मदद ली जा रही है और जिन खातों में पैसे ट्रांसफर हुए हैं, उन्हें ट्रैक कर फ्रीज कराने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल पर बिना पुष्टि के किसी भी प्रकार की जानकारी साझा न करें, चाहे वह खुद को कोई सरकारी अधिकारी ही क्यों न बताए। किसी भी डिजिटल दबाव या धमकी की स्थिति में तुरंत स्थानीय थाना या साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।
वाराणसी: साइबर ठगों ने दंपती को बनाया शिकार, डिजिटल अरेस्ट कर लूटे 81 लाख रुपये

वाराणसी में साइबर ठगों ने एक दंपती को डिजिटल अरेस्ट कर 81 लाख रुपये की ठगी की, दंपति ने इलाज के लिए संपत्ति बेची थी, जिसे साइबर अपराधियों ने सुनियोजित तरीके से निकाल लिया।
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