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वाराणसी: सरकारी वकील पर कोर्ट में हमला, अपराधी की जमानत विरोध करना पड़ा भारी

वाराणसी: सरकारी वकील पर कोर्ट में हमला, अपराधी की जमानत विरोध करना पड़ा भारी

वाराणसी: सरकारी वकील को कोर्ट परिसर में अपराधी की जमानत का विरोध करने पर बेरहमी से पीटा गया।

वाराणसी जिले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में अपराधी की जमानत का विरोध करना एक सरकारी वकील को भारी पड़ गया। आरोप है कि अपराधी की पैरवी करने वाले डिफेंस लॉयर ने अपने साथियों को बुलाकर अभियोजन पक्ष के वकील पर हमला कर दिया। घटना शुक्रवार शाम की है, जब सहायक जिला शासकीय वकील (ADGC) मनोज कुमार गुप्ता को कोर्ट परिसर की लाइब्रेरी में बेरहमी से पीटा गया। बताया गया कि हमलावरों ने पहले दो दिन तक रेकी की थी और फिर सुनियोजित तरीके से हमला किया।

हमले में मनोज गुप्ता को गंभीर चोटें आईं, उनके चेहरे और शरीर से खून निकल आया। मौके पर मौजूद अन्य वकीलों ने किसी तरह बीच-बचाव किया और उन्हें बचाया। बाद में बड़ी संख्या में अधिवक्ता वहां इकट्ठा हुए और घायल वकील को प्राथमिक उपचार के लिए भेजा गया। इस घटना के बाद कानूनी बिरादरी में रोष फैल गया। देर शाम सेंट्रल बार एसोसिएशन की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें हमले की कड़ी निंदा की गई और आरोपी अधिवक्ता को संगठन से बाहर करने का निर्णय लिया गया।

सेंट्रल बार एसोसिएशन ने हमले में शामिल अधिवक्ता और पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राहुल राज को तीन साल के लिए बार की सदस्यता से निष्कासित कर दिया। इस मामले में ADGC मनोज गुप्ता की तहरीर पर कैंट थाने में छह नामजद और पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। नामजद आरोपियों में राहुल राज, विकास चौहान, प्रमोद मौर्या, हर्ष सोनकर, अंकित केसरी और सलमान शाही शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि हमले में शामिल अन्य बाहरी लोगों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक राहुल राज काशी विद्यापीठ का पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रह चुका है और फिलहाल एक राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है। उसके खिलाफ पहले भी कई थानों में मुकदमे दर्ज हैं। बताया गया कि उसने अपने साथियों के साथ इस हमले की योजना पहले से बनाई थी।

घटना की जड़ एक जमानत याचिका से जुड़ी है। फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर एक में आरोपी अंशुल केशरी और शिव केशरी की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी। दोनों के खिलाफ रामनगर थाने में गंभीर धाराओं में केस दर्ज था। जमानत याचिका डिफेंस लॉयर राहुल राज ने दाखिल की थी, जबकि अभियोजन पक्ष से ADGC मनोज गुप्ता ने जमानत का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि दोनों पर लगे अपराध संज्ञेय हैं और उनके छूटने से जांच प्रभावित हो सकती है। अदालत ने अभियोजन की दलील से सहमति जताई और जमानत याचिका खारिज कर दी।

इसी फैसले से नाराज होकर राहुल राज ने कोर्ट में ही विरोध जताया और बाहर निकलते हुए मनोज गुप्ता को धमकाया। इसके बाद 7 नवंबर को शाम के समय लाइब्रेरी में घुसकर उसने अपने साथियों के साथ सरकारी वकील पर हमला कर दिया। हमले के दौरान वह खुद को छात्र नेता बताते हुए राजनीतिक रसूख दिखाता रहा।

हमले के बाद सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मंगलेश दुबे और महामंत्री राजेश गुप्ता ने तत्काल मीटिंग बुलाई। अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर आरोपी वकीलों की गिरफ्तारी और उनके लाइसेंस रद्द करने की मांग की। यूपी बार काउंसिल और इंडियन बार काउंसिल को भी इस संबंध में पत्र भेजा गया है।

सेंट्रल बार अध्यक्ष ने बताया कि आरोपी अधिवक्ता को तीन वर्ष के लिए बार से निष्कासित कर दिया गया है और जांच रिपोर्ट आने के बाद अवधि बढ़ाई जा सकती है। पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है और कहा है कि जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। यह घटना वकीलों के बीच आपसी पेशेवर मर्यादा पर गंभीर सवाल खड़े करती है, क्योंकि यह पहली बार है जब किसी वकील ने कोर्ट के विवाद को लेकर दूसरे वकील पर सार्वजनिक रूप से हमला किया है।

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