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वाराणसी: जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने लंका थाने में सुनी जनसमस्याएं, त्वरित निस्तारण के दिए निर्देश

वाराणसी: जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने लंका थाने में सुनी जनसमस्याएं, त्वरित निस्तारण के दिए निर्देश

जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने लंका थाने में थाना समाधान दिवस पर जनसमस्याएं सुनीं और भूमि विवाद व पारिवारिक झगड़ों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए।

वाराणसी: जनहित और प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में उठाए जा रहे ठोस कदमों की एक अहम कड़ी के रूप में शनिवार को वाराणसी जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने थाना समाधान दिवस पर लंका थाने में पहुंचकर आम जनमानस की समस्याएं सुनीं। डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल के साथ वे निर्धारित समय पर थाने पहुंचे और फरियादियों की शिकायतों को गंभीरता से सुना।

थाना समाधान दिवस पर उपस्थित फरियादियों में अपनी-अपनी पीड़ा, भूमि विवाद, पारिवारिक झगड़े, प्रशासनिक कार्यों में अड़चनों से जुड़ी समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी के समक्ष अपनी बातें रखीं। सत्येंद्र कुमार ने सभी मामलों को पूरी संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ सुना तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों को न केवल आवश्यक निर्देश दिए, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि शिकायतों का समाधान सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि वास्तविक न्याय की भावना के अनुरूप और समयबद्ध ढंग से होना चाहिए।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “थाना समाधान दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि शासन और आमजन के बीच संवाद का एक सशक्त माध्यम है। जो भी पीड़ित सही है, उसे हर हाल में न्याय मिलना चाहिए। इसके लिए राजस्व और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का मुआयना करे और पूरी पारदर्शिता से कार्यवाही सुनिश्चित करे।”

जिलाधिकारी ने बीते समाधान दिवसों में आई शिकायतों की प्रगति रिपोर्ट भी मौके पर ही मंगवाई और उनके निस्तारण की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतों के समाधान में यदि कोई लापरवाही सामने आती है तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही भी की जाएगी।

डीसीपी गौरव बंसवाल ने भी उपस्थित पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनता के साथ संवाद को और बेहतर बनाया जाए। थाना दिवस पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यह विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि प्रशासन उसके साथ खड़ा है। फरियादियों की बातें ध्यानपूर्वक सुनी जाएं और कार्रवाई की प्रत्येक स्थिति को लिखित रूप में दर्ज कर उन्हें संतोषजनक जवाब दिया जाए।

इस दौरान संबंधित क्षेत्रों के राजस्व निरीक्षक, लेखपाल, उपनिरीक्षक, बीट प्रभारी समेत कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे। जनसमस्याओं को सुनने की यह पहल न केवल प्रशासनिक संजीदगी का उदाहरण बनी, बल्कि आम लोगों में भी एक विश्वास पैदा किया कि उनकी समस्याएं सुनी और समझी जा रही हैं।

जनहित में इस तरह की त्वरित कार्यवाहियां प्रशासन के प्रति जनआस्था को और भी मजबूत करती हैं। वाराणसी जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक नगरी में शासन-प्रशासन का यह संवेदनशील व सक्रिय रवैया निश्चित रूप से एक आदर्श स्थापित कर रहा है, जहां आमजन की बात को प्राथमिकता दी जा रही है और समाधान को एक दायित्व के रूप में देखा जा रहा है।

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