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वाराणसी: नकली प्रमाण पत्र बनाने का बड़ा रैकेट उजागर, कई लोग शामिल

वाराणसी: नकली प्रमाण पत्र बनाने का बड़ा रैकेट उजागर, कई लोग शामिल

वाराणसी में डाकघर बाबुओं, वकीलों और साइबर कैफे संचालकों की मिलीभगत से नकली निवास आय जाति प्रमाण पत्र बनाने का रैकेट उजागर हुआ।

वाराणसी: वाराणसी में फर्जी दस्तावेज तैयार करने का एक बड़ा खेल सामने आया है। शहर में धड़ल्ले से नकली निवास, आय और जाति प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। यह काम डाकघर के कुछ बाबुओं, कचहरी से जुड़े कुछ वकीलों और साइबर कैफे संचालकों की मिलीभगत से चल रहा है। इसका खुलासा एडीएम फाइनेंस कार्यालय में उस समय हुआ, जब आधार कार्ड बनवाने के लिए आए कुछ आवेदनों की जांच की गई। जांच में पाया गया कि आवेदन पत्रों के साथ लगाए गए निवास प्रमाण पत्र असली नहीं बल्कि फर्जी हैं।

एडीएम फाइनेंस वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में पूछताछ के दौरान एक डाकघर के बाबू, कचहरी से जुड़े एक वकील और साइबर कैफे की भूमिका स्पष्ट हुई है। इससे पहले भी दो महीने पहले प्रधान डाकघर नदेसर के एक बाबू को फर्जी निवास प्रमाण पत्र के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अन्य दस्तावेजों की जांच भी कराई जा रही है ताकि इस पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जा सके।

यह मामला तब सामने आया जब रोहनिया क्षेत्र के नरूर गांव की अफसरीन ने आधार कार्ड बनवाने के लिए निवास प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज जमा किए। जांच के दौरान पता चला कि अफसरीन का निवास प्रमाण पत्र तहसील से जारी नहीं हुआ था, बल्कि वह फर्जी था। अफसरीन को पूछताछ के लिए एडीएम फाइनेंस कार्यालय बुलाया गया। पिता के साथ पहुंची अफसरीन ने बताया कि नदेसर स्थित डाकघर के एक बाबू ने यह प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया था और इसमें एक वकील ने भी मदद की थी। पूछताछ से यह भी सामने आया कि कचहरी परिसर में भी फर्जी दस्तावेज तैयार करने का काम हो रहा है।

पिछले तीन महीने में आठ आवेदन ऐसे मिले जिनमें फर्जी दस्तावेज लगाए गए थे। इनमें निवास, आय और जाति प्रमाण पत्र शामिल थे। एडीएम फाइनेंस के अनुसार सभी मामलों में डाकघर के कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है। जांच में यह भी सामने आया कि जिले के कई जन सेवा केंद्र और साइबर कैफे भी नकली दस्तावेज तैयार करने में शामिल हैं। इस पूरे मामले की गोपनीय जांच जारी है और डाकघर के बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए पोस्टमास्टर जनरल और शासन को पत्र भेजा जाएगा।

इससे पहले नदेसर प्रधान डाकघर में तैनात बाबू दीपक पर फर्जी आय और जाति प्रमाण पत्र तैयार करने का गंभीर आरोप लगा था। 18 जून को कैंट पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज किया था और थाने बुलाया था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसे छोड़ दिया गया। पुलिस को उसके पास से कई फर्जी प्रमाण पत्र भी बरामद हुए थे। तहसील सदर में वरिष्ठ सहायक के पद पर तैनात बाबू राजकुमार वर्मा ने दीपक प्रसाद पर कैंट थाने में मामला दर्ज कराया था। उस पर आरोप था कि उसने कोतवाली और कैंट थाना क्षेत्र की कई महिलाओं के लिए फर्जी प्रमाण पत्र बनाए थे। बाद में एडीएम फाइनेंस कार्यालय में दस्तावेजों की जांच के दौरान उसकी करतूत का खुलासा हुआ था।

एडीएम फाइनेंस वंदिता श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां न केवल सरकारी व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि आम नागरिकों का भरोसा भी कमजोर कर रही हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और जांच के दायरे में सभी जिम्मेदार लोगों को लाया जाएगा।

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