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वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा फैसला, मानव तस्करी में दोषी को उम्रकैद की सजा

वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा फैसला, मानव तस्करी में दोषी को उम्रकैद की सजा

वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मानव तस्करी के मामले में अनिल कुमार बरनवाल को उम्रकैद व 15 हजार जुर्माने की सजा सुनाई।

वाराणसी में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मानव तस्करी के एक गंभीर मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। चेतगंज थाना क्षेत्र में दर्ज इस केस में कोलकाता के कृष्णा नगर कॉलोनी निवासी अनिल कुमार बरनवाल को उम्रकैद की सजा दी गई है। अदालत ने उसे पंद्रह हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया और अर्थदंड की आधी राशि पीडित परिवार को देने का आदेश जारी किया। फैसले में यह भी कहा गया कि बच्ची के अपहरण और तस्करी से जुड़ी जांच में पुलिस की लापरवाही स्पष्ट रूप से दिखाई दी और ऐसे गंभीर अपराधों में उपेक्षा अस्वीकार्य है। अदालत ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत तेरह गवाहों की गवाही सुनने के बाद 27 नवंबर को आरोपी को दोषी करार दिया था और 29 नवंबर को सजा पर निर्णय के लिए तारीख तय की गई थी। इसी मामले में शामिल संतोष गुप्ता, मनीष जैन, शिखा, मदन और शिवम गुप्ता को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है। यह मामला करीब दो वर्षों तक दबा रहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जांच चरण में तेजी आई और आरोपियों पर कार्रवाई आगे बढ़ सकी।

यह घटना 28 मार्च 2023 की है जब नगर निगम में सफाई मित्र के पद पर कार्यरत एक व्यक्ति की बच्ची अचानक गायब हो गई। खोजबीन के बावजूद जब बच्ची नहीं मिली तो पिता ने चेतगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया। मानव तस्करी की आशंका को देखते हुए एक संस्था ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया जिसके बाद पुलिस हरकत में आई। 20 मार्च 2024 को चेतगंज पुलिस ने कोलकाता में आरोपी अनिल बरनवाल के पास से बच्ची को बरामद कर लिया और छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ। अदालत ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि विवेचक ने आरोपियों के मोबाइल नंबरों का सीडीआर तक प्राप्त नहीं किया और न ही कस्टमर एप्लीकेशन फॉर्म जुटाया। यह गंभीर लापरवाही को दर्शाता है क्योंकि बच्चे के अपहरण जैसे अपराध में विस्तृत जांच बेहद जरूरी है। अदालत ने आदेश दिया कि इस निर्णय की प्रति जिलाधिकारी वाराणसी के माध्यम से मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को भेजी जाए ताकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार गठित कमेटी आवश्यक कार्रवाई कर सके।

इसी बीच रामपुर की सीएमओ समेत चार डॉक्टरों के खिलाफ एमटीपी एक्ट से जुड़े मामले में मानहानि का परिवाद सिविल जज जूनियर डिवीजन सप्तम की अदालत में दाखिल हुआ है। बायस ऑफ आयुर्वेद के केंद्रीय अध्यक्ष डॉक्टर शैलेश कुमार राय ने आरोप लगाया कि एक फरवरी 2025 के शासनादेश के विपरीत और क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर डॉक्टर आफाक और डॉक्टर नाजरीन पर जांच समिति गठित कर कार्रवाई की गई। संगठन की ओर से जांच रोकने का अनुरोध देने के बावजूद बिना किसी विचार के मनमाने तरीके से जांच रिपोर्ट जारी की गई। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ दिसंबर तय की है।

पांडेयपुर लालपुर क्षेत्र में पांच वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में विशेष न्यायाधीश पास्को एक्ट अजय कुमार की अदालत ने रांची झारखंड निवासी विनोद लकडा को बीस साल की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर पचपन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। आरोप यह था कि आरोपी बच्ची को बहला फुसलाकर कब्रिस्तान में ले गया और वहां दुष्कर्म किया। घटना का खुलासा तब हुआ जब बच्ची डरी सहमी हालत में घर लौटी और अपनी मां को पूरी बात बताई। पुलिस ने जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया और अदालत ने केवल सात महीने में फैसला सुना दिया।

एक अन्य मामले में पत्नी की हत्या कर शव को खेत में फेंकने वाले आरोपी सुमित भुइया को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम प्रथम अवधेश कुमार की अदालत ने उसे नब्बे हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। पुलिस जांच में यह साबित हुआ कि झारखंड निवासी सुमित अलग अलग स्थानों पर काम करता था और नशे की हालत में पत्नी गीता की पिटाई करता था जिसके बाद नौ अप्रैल 2023 को उसने हत्या कर शव को खेत में फेंक दिया। गिरफ्तारी के बाद अदालत ने मुकदमे की सुनवाई पूरी कर आरोपी को दोषी ठहराया।

इसी अदालत ने भेलूपुर थाना क्षेत्र में वर्ष 2021 में मूकबधिर नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी गोविंदा सोनकर को दस साल की कैद और बीस हजार रुपये के जुर्माने की सजा भी सुनाई है। अदालत ने सभी मामलों में अपराध की गंभीरता को देखते हुए कड़ी सजा देने का हवाला दिया और कहा कि ऐसे अपराधों में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई समाज में न्याय की भावना को मजबूत करती है।

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