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वाराणसी में गंगा-वरुणा का जलस्तर बढ़ा, 30 हजार परिवार बाढ़ की चपेट में आए।

वाराणसी में गंगा-वरुणा का जलस्तर बढ़ा, 30 हजार परिवार बाढ़ की चपेट में आए।

वाराणसी में गंगा और वरुणा नदी का जलस्तर बढ़ने से 30 हजार से अधिक परिवार विस्थापित, कई मोहल्ले जलमग्न।

वाराणसी: गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण वाराणसी में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। गंगा के साथ सहायक नदी वरुणा भी उफान पर है, जिससे 30 हजार से अधिक परिवार बाढ़ की जद में आ गए हैं। मोहल्लों और कॉलोनियों में नाव चल रही है और कई इलाकों में घरों के बाहर पानी जमा होकर मिनी स्विमिंग पूल जैसा दृश्य बना हुआ है। हजारों परिवार अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं जबकि कुछ लोग अपने घर के ऊपरी मंजिलों पर रहकर हालात का सामना कर रहे हैं। कई प्रभावित परिवार शहर में किराए के मकानों में शरण लिए हुए हैं।

यह स्थिति इसलिए और चिंताजनक हो गई है क्योंकि एक ही महीने में गंगा का जलस्तर तीसरी बार खतरे के करीब पहुंचा है। यह चौथी बाढ़ है जिसमें दूसरी बार इतने बड़े पैमाने पर लोगों को पलायन करना पड़ा है। वरुणा किनारे के दनियालपुर, ढ़ेलवारिया, कोनिया, नक्खीघाट, सलारपुर, हुकुलगंज, सरैया और नई बाजार समेत आठ प्रमुख मोहल्ले बुरी तरह प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों के छोटे मकानों में रहने वाले लोग अपने घर खाली कर चुके हैं।

गंगा का जलस्तर आधा सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। सुबह का आंकड़ा 70.83 मीटर दर्ज किया गया जो खतरे के निशान से केवल कुछ सेंटीमीटर दूर है। हालात ने धार्मिक गतिविधियों को भी प्रभावित किया है। पिंडदान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को घाटों तक पहुंचने का रास्ता नहीं मिल पा रहा, इसलिए वे सड़क किनारे ही पिंडदान करने को मजबूर हैं। पिछले सत्तर दिनों से घाटों का संपर्क टूटा हुआ है और नाव संचालन बंद है। घाट किनारे बने करीब पांच हजार छोटे मंदिर पूरी तरह जलमग्न हैं।

दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती अब छत से कराई जा रही है, जबकि अस्सी घाट पर सड़क किनारे आरती की जा रही है। यह नजारा श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए असामान्य और चुनौतीपूर्ण है।

बाढ़ से अब तक 8047 लोग घर छोड़ चुके हैं। इनमें से 4701 लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली है। साथ ही 8124 किसान और 2166.13 हेक्टेयर खेत भी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका असर गहराता जा रहा है।

बाढ़ का असर रेलवे संचालन पर भी पड़ सकता है। उत्तर रेलवे के एडीआरएम बीके यादव ने बताया कि गंगा के जलस्तर की हर घंटे मॉनीटरिंग की जा रही है। मालवीय पुल पर लगातार पेट्रोलिंग कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जाता है तो सुरक्षा कारणों से ट्रेनों की गति को घटाकर दस किलोमीटर प्रतिघंटा कर दिया जाएगा।

बढ़ते जलस्तर ने वाराणसी के आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बाढ़ से जूझ रहे लोग अब प्रशासन से राहत और बचाव कार्य की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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