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वाराणसी: गतिशक्ति परियोजना में फर्जीवाड़ा, तीन फर्मों पर सीबीआई जांच का शिकंजा

वाराणसी: गतिशक्ति परियोजना में फर्जीवाड़ा, तीन फर्मों पर सीबीआई जांच का शिकंजा

वाराणसी की गतिशक्ति परियोजना में तीन फर्मों द्वारा फर्जीवाड़े के आरोप पर सीबीआई ने जांच शुरू कर दस्तावेज खंगाले.

वाराणसी: शहर में चल रही गतिशक्ति परियोजना एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। परियोजना के तहत निर्माण कार्य करवा रही तीन फर्मों पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे ठेका लेने और काम कराने का गंभीर आरोप लगा है। इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है, जिसके बाद सीबीआई सक्रिय हो गई है।

मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआई की चार सदस्यीय टीम तीन दिन पहले पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के डीआरएम कार्यालय पहुंची थी। यहां टीम ने इंजीनियरिंग और लेखा विभाग से जुड़े दस्तावेजों की बारीकी से जांच की और कई महत्वपूर्ण कागजातों की छायाप्रति भी अपने साथ ले गई। बताया जा रहा है कि लखनऊ, वाराणसी और जौनपुर की तीन अलग-अलग फर्में इस गड़बड़ी में शामिल हैं। इन कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में फर्जी फिक्स डिपॉजिट रिपोर्ट (एफडीआर) जमा करवाई थी, जिसके आधार पर उन्हें काम मिला।

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि जौनपुर की एक फर्म ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी एफडीआर तैयार कराया और उसे प्रपत्र के रूप में प्रस्तुत किया। इस फर्जी दस्तावेज के सहारे फर्म को रेलवे से ठेका मिल गया। इसी तरह अन्य दो फर्मों के पेपरों में भी गंभीर खामियां पाई गई हैं।

गौरतलब है कि गत बृहस्पतिवार को सीबीआई टीम सुबह से शाम तक करीब आठ घंटे तक डीआरएम कार्यालय के इंजीनियरिंग और लेखा विभाग में छानबीन करती रही। टीम ने दो साल पुराने टेंडर से जुड़े कागजात, फर्मों के दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण फाइलें खंगालीं। वहीं, शुक्रवार को भी सीबीआई अपने साथ कई अहम दस्तावेज लेकर गई। फिलहाल लखनऊ मुख्यालय स्तर पर इन दस्तावेजों की गहन जांच शुरू हो चुकी है।

सूत्रों का कहना है कि सीबीआई द्वारा की जा रही इस पड़ताल के बाद आने वाले दिनों में कुछ ठोस कार्रवाई संभव है। रेलवे में फर्जी एफडीआर जमा कर ठेका हासिल करने की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही थीं, जिन्हें अब गंभीरता से लिया जा रहा है।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इसी साल जुलाई में भी सीबीआई की लखनऊ एंटी करप्शन टीम ने वाराणसी डीआरएम कार्यालय का दौरा किया था। तीन महीने के भीतर दूसरी बार सीबीआई की टीम के पहुंचने से रेलवे मंडल के अधिकारी और कर्मचारी सकते में हैं। अब देखना होगा कि जांच के बाद किस स्तर तक कार्रवाई होती है और भ्रष्टाचार की इस परत को कितना गहराई से खोला जाता है।

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