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वाराणसी जेल के कैदियों ने 1.51 करोड़ रुपये कमाए, परिवार को दिया नया जीवन

वाराणसी जेल के कैदियों ने 1.51 करोड़ रुपये कमाए, परिवार को दिया नया जीवन

वाराणसी केंद्रीय कारागार के 600 कैदियों ने शिल्प व कृषि से ₹1.51 करोड़ कमाए, परिजनों को दिया सम्मानजनक जीवन।

वाराणसी के केंद्रीय कारागार में बंद कैदियों ने अपनी मेहनत, आत्मविश्वास और पश्चाताप की भावना से समाज को नई राह दिखाई है। वर्ष 2024 में यहां के 600 कैदियों ने काष्ठ कला, लौह उद्योग, अचार निर्माण, साड़ी बुनाई और खेती-किसानी जैसे कार्यों के जरिए कुल 1.51 करोड़ रुपये की कमाई की। इस कमाई से न केवल उन्होंने अपने परिवारों को सम्मानजनक जीवन दिया बल्कि बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठाया। यह उपलब्धि कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव की मिसाल बन गई है।

जेल प्रशासन ने इस दिशा में अभिनव प्रयास किए हैं। तीन वर्ष पूर्व शुरू हुई पहल के तहत हुनरमंद कैदियों को गुरु बनाकर अन्य बंदियों को प्रशिक्षण दिया जाने लगा। इस कदम ने जेल का वातावरण बदल दिया और सहयोग तथा समझ की भावना ने माहौल को परिवार जैसा बना दिया। जेलर अखिलेश कुमार और डिप्टी जेलर अखिलेश मिश्र की देखरेख में कैदियों को उनकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण मिला जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ी। आंकड़ों के अनुसार कैदियों ने वर्ष 2022 में 75.71 लाख, 2023 में 44.28 लाख और 2024 में 1.51 करोड़ रुपये की आय अर्जित की।

जेल प्रशासन ने कैदियों की रुचि के आधार पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए। पूर्वांचल की जेलों से आए सजायाफ्ता कैदियों की काउंसलिंग कर उनकी पसंद को समझा गया। इसके बाद उन्हें काष्ठ कला, धातु शिल्प, अचार निर्माण, बनारसी साड़ी बुनाई और जैविक खेती जैसे क्षेत्रों में काम का अवसर दिया गया। इस प्रक्रिया में कैदी स्वयं प्रशिक्षुओं का चयन करते हैं और फिर उनकी ट्रेनिंग शुरू होती है। पूरे वर्ष यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते रहते हैं जिनका उद्देश्य कैदियों को आत्मनिर्भर बनाना है।

केंद्रीय कारागार के प्रमुख उद्योगों में लकड़ी से कलात्मक वस्तुएं तैयार करना, लोहे से उपयोगी सामान बनाना, गुणवत्तापूर्ण अचार तैयार करना, बनारसी साड़ियों की बुनाई और जैविक सब्जियों की खेती शामिल हैं। इन उत्पादों ने बाजार में भी अपनी पहचान बनाई है।

कैदियों के जीवन में संगीत शिक्षा ने भी नया उजाला भर दिया है। बनारस घराने के प्रख्यात गुरु डॉ. आशीष मिश्रा कैदियों को निशुल्क संगीत की तालीम देते हैं। उनकी देखरेख में कई कैदियों ने प्रभाकर डिग्री प्राप्त की और जेल से रिहा होने के बाद समाज में संगीत का संदेश फैलाया। जेल के भीतर नियमित भजन संध्याएं आयोजित होती हैं जिनसे माहौल अधिक सकारात्मक और सुकून भरा हो गया है।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक राधा कृष्ण मिश्र ने बताया कि यह सब सरकार की कौशल विकास योजना का परिणाम है। उनके अनुसार यह पहल कैदियों को केवल आत्मनिर्भर ही नहीं बना रही बल्कि समाज में दोबारा सम्मानजनक जीवन जीने के लिए भी सक्षम बना रही है।

वाराणसी केंद्रीय कारागार की यह उपलब्धि न केवल जेल सुधार की दिशा में प्रेरणादायक है बल्कि पूरे देश में एक मॉडल के रूप में देखी जा रही है। यहां के कैदियों ने यह साबित किया है कि अवसर और मार्गदर्शन मिलने पर सुधार की राह हर कोई चुन सकता है।

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