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वाराणसी: मां बेटे का शव लेकर पहुंची पुलिस आयुक्त कार्यालय, हत्या की आशंका जताकर लगाई न्याय की गुहार

वाराणसी: मां बेटे का शव लेकर पहुंची पुलिस आयुक्त कार्यालय, हत्या की आशंका जताकर लगाई न्याय की गुहार

वाराणसी जिला जेल में बंद कैदी मोहित सिंह की संदिग्ध मौत, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप, जेल प्रशासन पर गंभीर सवाल, उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है।

वाराणसी: जिला जेल में बंद कैदी मोहित सिंह उर्फ आशुतोष की संदिग्ध मौत ने एक बार फिर जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को पोस्टमार्टम हाउस से बेटे का शव लेकर पहुंचे परिजनों ने पुलिस आयुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। मृतक की मां रीता सिंह और पिता राघवेंद्र सिंह ने रोते हुए आरोप लगाया कि उनके बेटे की मौत स्वाभाविक नहीं, बल्कि एक सोची-समझी हत्या है जिसमें जेल प्रशासन और विपक्षियों की मिलीभगत है।

मोहित पिछले चार वर्षों से जिला जेल में निरुद्ध था और उस पर पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज था। 14 जुलाई को उसकी कोर्ट में पेशी होनी थी, लेकिन उससे एक दिन पहले 13 जुलाई को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली। मोहित के पिता राघवेंद्र सिंह ने बताया कि वह कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी सुबह 11 बजकर 2 मिनट पर जेलकर्मियों का फोन आया और बताया गया कि मोहित की तबीयत खराब है और उसे कबीरचौरा अस्पताल लाया गया है। लेकिन जब वह अस्पताल पहुंचे, तब तक उनका बेटा मृत पाया गया और शव को पहले ही मर्च्युरी में रख दिया गया था।

परिजनों का कहना है कि मौत से एक दिन पहले ही मोहित से बात हुई थी और वह पूरी तरह स्वस्थ था। इस घटना से गहरे सदमे में आई मां रीता सिंह ने कहा, “मेरा बेटा बेगुनाह था। उसे झूठे मुकदमे में फंसाया गया। हमने विपक्षियों के आगे हाथ-पैर जोड़े, शादी का प्रस्ताव तक रखा, लेकिन वे पैसे की मांग करते रहे और धमकी देते रहे कि तुम्हारा बेटा जेल में सड़ जाएगा। अब अचानक उसकी मौत हो गई और हमें पूरा यकीन है कि यह हत्या है।”

पिता राघवेंद्र सिंह ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर बेटे की तबीयत बिगड़ी थी तो तत्काल सूचना क्यों नहीं दी गई। अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक मोहित को सुबह 10:25 बजे “ब्रॉट डेड” लाया गया था, जबकि उन्हें इसकी जानकारी लगभग आधे घंटे बाद दी गई। उन्होंने पूछा कि आखिर तबीयत बिगड़ने और अस्पताल ले जाने के बीच का समय किसके पास था और क्या उस दौरान कुछ गलत हुआ?

घटना की सूचना मिलते ही कैंट और रोहनिया थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। एसपी कैंट भी पहुंचे और स्थिति को संभालने की कोशिश की। मौके पर परिजनों और स्थानीय लोगों ने जमकर नारेबाजी की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बाद में प्रशासन द्वारा अपर नगर मजिस्ट्रेट (एसीएम) के माध्यम से ज्ञापन लिया गया और जांच का आश्वासन दिया गया।

परिजनों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जब तक मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होती, वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि न्याय की उम्मीद अब सिर्फ शासन-प्रशासन से है और वे इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएंगे।

फिलहाल, मृतक का पोस्टमॉर्टम हो चुका है और रिपोर्ट का इंतजार है। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से जांच का भरोसा दिया गया है। लेकिन इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार को गहरे शोक में डाल दिया, बल्कि जेल में बंद कैदियों की सुरक्षा और वहां की निगरानी व्यवस्था को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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Category: crime uttar pradesh

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