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वाराणसी: जेई छात्रा ने हॉस्टल के बाथरूम में लगाई फांसी, इलाके में फैली सनसनी

वाराणसी: जेई छात्रा ने हॉस्टल के बाथरूम में लगाई फांसी, इलाके में फैली सनसनी

वाराणसी में जेई की तैयारी कर रही 18 वर्षीय छात्रा ने हॉस्टल के बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, पुलिस जांच में जुटी है।

वाराणसी: भेलूपुर थाना क्षेत्र के खोजवां इलाके में स्थित एक निजी हॉस्टल में शनिवार को एक दर्दनाक घटना सामने आई। यहां जेई (जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम) की तैयारी कर रही 18 वर्षीय छात्रा खुशी सिंह ने बाथरूम में फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। जिस उम्र में उसके सपनों को पंख लगने थे, उसी उम्र में उसने ऐसी खामोशी ओढ़ ली जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, घटना शनिवार दोपहर करीब दो बजे के आसपास की है। खुशी अपने रूम में अपनी सहपाठी के साथ रहती थी। दोनों बीते रात देर तक पढ़ाई में जुटी थीं। सुबह लगभग 6:30 बजे नाश्ता करने के बाद दोनों कमरे में लौटीं और थोड़ी देर आराम करने लगीं। दोपहर के वक्त जब खुशी की रूम पार्टनर उठी और बाथरूम जाने के लिए दरवाजा खटखटाया, तो भीतर से कोई जवाब नहीं मिला। उसने कई बार आवाज दी, मगर सन्नाटा छाया रहा।

करीब 10 मिनट तक तीन बार दरवाजा पीटने के बाद भी जब कोई हलचल नहीं हुई, तो उसे अनहोनी का एहसास हुआ। उसने तत्काल हॉस्टल की वार्डन अंजू सिंह को सूचना दी। वार्डन ने रोशनदान से झांककर देखा तो भीतर का नजारा देखकर उनके होश उड़ गए, खुशी फंदे से लटकी हुई थी। इसके बाद वार्डन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।

मामले की जानकारी मिलते ही एसीपी भेलूपुर गौरव कुमार और प्रभारी निरीक्षक सुधीर त्रिपाठी फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और परिजनों को जानकारी दी। सूचना मिलते ही खुशी के पिता जयप्रकाश सिंह अन्य परिजनों के साथ हॉस्टल पहुंचे। परिजनों के आने के बाद ही बाथरूम का दरवाजा तोड़ा गया। दरवाजा खुलते ही जो दृश्य सामने आया, वह किसी का भी दिल दहला देने के लिए काफी था।

पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। शुरुआती जांच में आत्महत्या की पुष्टि हुई है, लेकिन घटना के कारणों की जांच जारी है। पुलिस छात्रा के मोबाइल, डायरी और दोस्तों से बातचीत की भी पड़ताल कर रही है, ताकि यह समझा जा सके कि आखिर खुशी को ऐसा कदम उठाने की वजह क्या रही।

वार्डन अंजू सिंह ने बताया कि हॉस्टल में कुल 35 कमरे हैं, जिनमें लगभग 72 छात्राएं रहती हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। खुशी शांत स्वभाव की, अनुशासित और पढ़ाई में अच्छी छात्रा मानी जाती थी। उन्होंने कहा, “कभी अंदाजा नहीं हुआ कि खुशी के मन में ऐसा कुछ चल रहा होगा। वह हर समय पढ़ाई और लक्ष्य की बात करती थी।”

खुशी सिंह कुछ ही दिन पहले जेई की परीक्षा देकर लौटी थी। सहपाठियों के अनुसार, वह परीक्षा को लेकर थोड़ा चिंतित थी, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह चिंता उसकी जिंदगी की आखिरी कहानी बन जाएगी। उसकी रूम पार्टनर ने पुलिस को बताया कि खुशी पिछली रात तक बिल्कुल सामान्य थी। दोनों ने साथ में डिनर किया, देर रात तक पढ़ाई की और अगले दिन की योजना बनाई थी।

घटना के बाद पूरे हॉस्टल में सन्नाटा छा गया। कई छात्राएं रो-रोकर बेहाल हो गईं। एक सहेली ने कहा, “खुशी हमेशा मुस्कुराती रहती थी। वो कहती थी कि एक दिन अपने माता-पिता का नाम रोशन करेगी। हमें यकीन नहीं हो रहा कि वो अब नहीं है।”

इस हृदयविदारक घटना ने न केवल उसके परिवार को, बल्कि उन सभी को झकझोर दिया है जो अपने बच्चों को बड़े सपनों के साथ शहरों में पढ़ने भेजते हैं। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता जयप्रकाश सिंह बार-बार यही कह रहे थे, “मेरी बेटी तो कल तक फोन पर हंस रही थी, उसने ऐसा क्यों किया?”

फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु के पीछे की वजहों पर स्पष्टता मिल पाएगी। लेकिन इस घटना ने फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का बढ़ता दबाव, अकेलापन और मानसिक तनाव युवा जीवन पर भारी पड़ रहा है।

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