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वाराणसी: माँ कूष्माण्डा धाम का वार्षिक श्रृंगार व संगीत समारोह, भक्ति और लोकसंगीत से गूंजा मंदिर प्रांगण

वाराणसी: माँ कूष्माण्डा धाम का वार्षिक श्रृंगार व संगीत समारोह, भक्ति और लोकसंगीत से गूंजा मंदिर प्रांगण

वाराणसी के माँ कूष्माण्डा मंदिर में वार्षिक श्रृंगार समारोह में भक्ति और लोकगीत का संगम हुआ, कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं।

वाराणसी: दुर्गाकुण्ड स्थित माँ कूष्माण्डा दुर्गा मंदिर के प्रांगण में चल रहे वार्षिक श्रृंगार एवं संगीत समारोह का छठा दिन भक्तिरस और लोकसंगीत की अनुपम छटा बिखेरने वाला रहा। सोमवार की रात मंदिर परिसर भक्ति भाव में डूबा रहा, जब देश-प्रदेश से आए कलाकारों ने अपने भजन और लोकगीतों से ऐसा वातावरण बनाया कि श्रद्धालु देर रात तक भावविभोर होकर माँ के दरबार में डटे रहे।

शाम का आरंभ माँ कूष्माण्डा के भव्य श्रृंगार से हुआ। पट बंद होने के बाद देवी को पंचामृत स्नान कराया गया और नीली बनारसी साड़ी के साथ मारवाड़ी चुनरी से विशेष श्रृंगार संपन्न किया गया। कोलकाता से मंगाए गए गुलाब, कमल, रजनीगंधा, कठुआ और मुरली की मालाओं से माँ को अलंकृत किया गया। इसके अतिरिक्त स्वर्ण महारानी हार, कमल पुष्प स्वर्णाहार और अड़हुल पुष्पों से सुसज्जित श्रृंगार ने भक्तों का मन मोह लिया। श्रृंगार की विधि पंडित कौशलपति द्विवेदी और आरती पंडित किशन दुबे द्वारा विधि-विधान से पूरी कराई गई।

श्रृंगार के उपरांत आरंभ हुए संगीतमय कार्यक्रम ने भक्ति का एक अद्भुत रंग जमा दिया। प्रख्यात लोकगायक अरविन्द अकेला कल्लू ने माई मटियो के होखेली, जहिया माई अंगना में धइली और निमिया के दाढ़ मईया जैसे लोकप्रिय भजनों के जरिए श्रद्धालुओं को माँ की भक्ति में सराबोर कर दिया। उनकी प्रस्तुति पर श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ पूरा वातावरण गूंजा दिया।

बिहार से आए प्रसिद्ध गायक आर्यन बाबू ने माई माई के लार, नजर ना लगे और ए राजा जी खजनवा दे द जैसे गीतों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके गीतों में भक्ति और लोक संस्कृति का अद्भुत समन्वय झलकता रहा, जिसे सुनकर भक्तगण देर तक ताली बजाते रहे।

कार्यक्रम में गीतांजलि मौर्य, अर्चना तिवारी, ज्योति गुप्ता, संजीत सागर, सुमन अग्रहरि और आंशिका सिंह सहित कई कलाकारों ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से वातावरण को भक्तिरस से भर दिया। वहीं, रविन्द्र सिंह ज्योति, सरोज वर्मा, प्रियंका सिंह, गोपाल त्रिपाठी और वैष्णवी राय की प्रस्तुतियों ने भी कार्यक्रम को और विशेष बना दिया।

इस अवसर पर आयोजन समिति की ओर से सभी कलाकारों का सम्मान महंत राजनाथ दुबे और विश्वजीत दुबे ने किया। कार्यक्रम का संयोजन प्रभुनाथ राय उर्फ दाढ़ी ने किया, जबकि संचालन की बागडोर सोनू झा ने संभाली।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महंत परिवार के सदस्य, भक्तगण और स्थानीय लोग उपस्थित रहे। पं. संजय दुबे, विकास दुबे और प्रकाश दुबे समेत कई गणमान्य लोगों की मौजूदगी ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ाया।

छठे दिन का यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि भक्ति और आस्था का ऐसा अद्वितीय संगम रहा, जिसने श्रद्धालुओं के हृदय को माँ की महिमा और भक्ति से परिपूर्ण कर दिया।

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