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वंदे भारत शुभारंभ पर वाराणसी को मिली नई उम्मीदें, मंत्रियों ने रेल मंत्री से किए 3 अहम अनुरोध

वंदे भारत शुभारंभ पर वाराणसी को मिली नई उम्मीदें, मंत्रियों ने रेल मंत्री से किए 3 अहम अनुरोध

वंदे भारत के शुभारंभ पर मंत्री रविंद्र जायसवाल व विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने रेल मंत्री से वाराणसी के लिए तीन अहम अनुरोध किए।

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वंदे भारत एक्सप्रेस के शुभारंभ अवसर पर शनिवार को आयोजित भव्य समारोह में शहर के विकास से जुड़ी कई अहम बातें सामने आईं। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल और कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने वाराणसी की रेल संरचना को सुदृढ़ बनाने की दिशा में रेल मंत्री से तीन महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिन पर रेल मंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम के दौरान जब वंदे भारत ट्रेन की घंटी बजी, तो पूरा स्टेशन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसी बीच मंत्री रविंद्र जायसवाल ने वाराणसी के रेल कर्मचारियों और आम नागरिकों की ओर से अपनी बात रखते हुए कहा कि “वाराणसी देश की आध्यात्मिक राजधानी है, यहां की रेल सुविधाओं को भी उसी स्तर का दर्जा मिलना चाहिए।”

उन्होंने अपने पहले अनुरोध में कहा कि शहर की सभी रेलवे कॉलोनियों के आवास अब पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। उनमें रहने वाले रेल कर्मचारियों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए या तो इन पुराने मकानों की नवीन आवासीय योजना के तहत पुनर्निर्माण किया जाए, या फिर उनकी समुचित मरम्मत कराई जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह न केवल कर्मचारियों के जीवनस्तर को बेहतर बनाएगा बल्कि शहर के सौंदर्यीकरण में भी योगदान देगा।

दूसरे अनुरोध में मंत्री ने बनारस स्टेशन को टर्मिनल स्टेशन का दर्जा देने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि वाराणसी से प्रतिदिन हजारों यात्री देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करते हैं, लेकिन यहां की सुविधाएं अब भी सीमित हैं। उन्होंने रेल मंत्री से आग्रह किया कि बनारस स्टेशन का विस्तार किया जाए, यात्रियों की सुविधा के लिए अधिक प्लेटफॉर्म, प्रतीक्षालय और आधुनिक सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। साथ ही, वाराणसी से चलने वाली ट्रेनों की संख्या और ठहराव बढ़ाया जाए, ताकि यह क्षेत्र उत्तर भारत का प्रमुख रेल केंद्र बन सके।

तीसरे और सबसे अहम मुद्दे में मंत्री रविंद्र जायसवाल और विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने वाराणसी रेल मंडल के प्रशासनिक ढांचे की समस्या उठाई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यहां दो डीआरएम (Divisional Railway Manager) कार्यरत हैं – एक बनारस मंडल में और दूसरा लखनऊ के अधीन, जिससे निर्णय लेने में भ्रम और देरी की स्थिति बन जाती है। अधिकारी यह तय नहीं कर पाते कि कौन सा कार्य किस डीआरएम के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिससे स्थानीय जनता और रेलवे कर्मचारियों दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

इस पर दोनों जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा, “एक बनारस, एक DRM”। उन्होंने मांग की कि वाराणसी को एकीकृत रेल प्रशासन के तहत लाया जाए, ताकि सभी कार्य एक ही डीआरएम के नियंत्रण में हों और विकास कार्यों में तेजी लाई जा सके।

रेल मंत्री ने इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों की बातों को गंभीरता से सुनते हुए कहा कि वाराणसी भारतीय रेल का गौरव है, और यहां के विकास के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि रेलवे कॉलोनियों के आवासों के पुनर्निर्माण और मरम्मत, बनारस स्टेशन को टर्मिनल स्टेशन का दर्जा देने, तथा एकल डीआरएम व्यवस्था लागू करने के प्रस्ताव पर जल्द निर्णय लिया जाएगा।

कार्यक्रम के समापन पर रेल मंत्री, रविंद्र जायसवाल और सौरभ श्रीवास्तव ने वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन के बाद यात्रियों का अभिनंदन किया। पूरे समारोह में जनता के बीच एक नई ऊर्जा और उम्मीद की लहर देखी गई। उपस्थित लोगों ने कहा कि यदि ये तीनों मांगें पूरी हो जाती हैं तो वाराणसी का रेल नेटवर्क नए युग में प्रवेश करेगा, और शहर न केवल धार्मिक बल्कि आधुनिक परिवहन के क्षेत्र में भी एक मिसाल बनेगा।

इस तरह वंदे भारत एक्सप्रेस का शुभारंभ केवल एक नई ट्रेन की शुरुआत नहीं, बल्कि वाराणसी के रेलवे विकास की नई कहानी की शुरुआत साबित हुआ। एक ऐसी कहानी जिसमें जनप्रतिनिधियों की दूरदर्शिता और जनता की उम्मीदें एक साथ चल रही हैं।

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