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काशी का नक्कटैया मेला, झांकियों और नाटकीय प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

काशी का नक्कटैया मेला, झांकियों और नाटकीय प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

वाराणसी के चेतगंज में नक्कटैया मेले में दो लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, लक्ष्मण-शूर्पणखा के जीवंत दृश्य ने मन मोहा।

वाराणसी: काशी के चेतगंज क्षेत्र में स्थित नक्कटैया मेले में शुक्रवार की आधी रात श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ ने नया रिकॉर्ड बनाया। अनुमानित दो लाख से अधिक लोग इस मेले में पहुंचे, जिससे करीब तीन किलोमीटर का क्षेत्र जाम हो गया। श्रद्धालुओं ने रामलीला के इस प्रमुख आयोजन का आनंद लिया और रातभर सांस्कृतिक एवं धार्मिक उत्सव का हिस्सा बने।

रात्रि 11 बजे के करीब रामलीला का सबसे महत्वपूर्ण दृश्य मंचित किया गया। लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटने का नाटकीय दृश्य प्रस्तुत किया, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं ने जोरदार तालियों और जयकारों के साथ प्रतिक्रिया दी। इसके बाद शूर्पणखा मलदहिया चौराहा के पास बनाई गई लंका की झांकी में पहुंचीं। इस दृश्य को कलाकारों ने बेहद जीवंत और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया। मंच पर और भी छोटे दृश्य प्रस्तुत किए गए, जिन्होंने दर्शकों का ध्यान पूरी तरह खींचा।

इस बार के मेले में कुल 70 झांकियां प्रदर्शित की गईं। इनमें ऑपरेशन सिंदूर, ट्रंप टैरिफ और फिल्म छावा जैसे आधुनिक और पारंपरिक विषयों पर आधारित झांकियों को शामिल किया गया। हर झांकी को बड़े विस्तार और सजावट के साथ तैयार किया गया था, जिससे दर्शकों को देखने में आनंद और उत्साह दोनों का अनुभव हुआ। कलाकारों ने झांकियों के पास भक्ति गीतों और धार्मिक संगीत के साथ नृत्य किया, जिससे पूरे मेले का माहौल उत्सवपूर्ण और आध्यात्मिक बन गया।

विशेष आकर्षण इस बार यह रहा कि कुछ कलाकारों ने गले में नरमुंड की माला पहनकर प्रदर्शन किया। इस प्रकार के दृश्य ने रामलीला के नाटकीय प्रभाव को और भी जीवंत बनाया और दर्शकों में उत्सुकता और श्रद्धा दोनों को बढ़ाया। स्थानीय प्रशासन और पुलिस बल ने भी भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए। सड़क मार्ग और आसपास के क्षेत्र में भारी ट्रैफिक और जाम की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने वाहन मार्गों को नियंत्रित किया और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की।

मेले में पहुंचे श्रद्धालुओं ने न केवल रामलीला का आनंद लिया, बल्कि सांस्कृतिक झांकियों और नृत्य प्रदर्शन के माध्यम से भारतीय परंपरा और लोक कला की समृद्धि को भी देखा। आयोजकों ने बताया कि इस बार की भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में दोगुनी रही और स्थानीय पर्यटन और धार्मिक आस्था दोनों को बढ़ावा मिला। मेला रातभर चलता रहा और सुबह तक श्रद्धालु उत्सव का आनंद लेते रहे।

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