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वाराणसी: नमो घाट पर जापानी बैंड व परेश पाहुजा के साथ सांगीतिक-सांस्कृतिक संध्या

वाराणसी: नमो घाट पर जापानी बैंड व परेश पाहुजा के साथ सांगीतिक-सांस्कृतिक संध्या

वाराणसी के नमो घाट पर संगीत, हास्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम में जापानी बैंड और परेश पाहुजा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

वाराणसी के नमो घाट पर गुरुवार की रात संगीत, हास्य और सांस्कृतिक मेलजोल का ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने पूरे वातावरण को उत्साह से भर दिया। गंगा किनारे सजे इस खास कार्यक्रम में स्थानीय युवाओं से लेकर परिवारों तक सभी ने देर रात तक संगीत और मनोरंजन का आनंद लिया। सबसे पहले मंच संभाला जापान से आए ताव बैंड ने। उनकी ऊर्जा और ताल से भरी धुनों ने दर्शकों को शुरुआत से ही मंत्रमुग्ध कर दिया। तेज लय, पारंपरिक जापानी वाद्य और मंच पर उनका शक्तिशाली प्रदर्शन देखते ही देखते पूरे घाट पर उत्साह की लहर दौड़ गई और काशी के युवा तालियों और हूटिंग के साथ झूम उठे।

इसके बाद मंच पर पहुंचे अभिनेता और गीतकार परेश पाहुजा। अपनी मधुर आवाज और सहज प्रस्तुति के कारण उन्होंने शुरू होते ही दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने किन्ने तारे, दूरों दूरों, मस्कारा, शाम ओ सहर और क्या चाहिए जैसे लोकप्रिय गीत गाए। दर्शक इन गीतों को उनके साथ गुनगुनाते रहे और देर रात तक माहौल संगीत की तरंगों से भरा रहा। परेश पाहुजा की लाइव प्रस्तुति ने घाट पर एक शांत लेकिन बेहद भावनात्मक माहौल भी बनाया जहां युवा और वरिष्ठ दर्शक समान रूप से संगीत में खोए नजर आए।

संगीत के इस आयोजन में हास्य भी पूरी तरह शामिल रहा। कॉमेडियन दीपक सैनी ने जैसे ही मंच संभाला, दर्शक ठहाकों से गूंज उठे। उनकी शैली सरल लेकिन चुटीली थी। रोजमर्रा की बातों पर आधारित उनके चुटकुलों और अभिनय ने वहां मौजूद हर व्यक्ति को हंसने पर मजबूर कर दिया। कई बार तो दर्शक उनकी बातों पर हंसी रोक ही नहीं पाए और माहौल पूरी तरह हल्का फुल्का और आनंददायक हो गया।

कार्यक्रम की खास बात यह थी कि एक ही मंच पर संगीत, वाद्य कला, हास्य और जापानी संस्कृति के रंग देखने को मिले। नमो घाट पर ऐसी प्रस्तुति ने स्थानीय लोगों के साथ साथ बाहर से आए मेहमानों को भी प्रभावित किया। घाट पर रोशनी, गंगा की शांत लहरें और लाइव प्रदर्शन का समन्वय इस आयोजन को और भी आकर्षक बना रहा था।

वाराणसी जैसे सांस्कृतिक शहर में ऐसे आयोजन न केवल मनोरंजन का साधन हैं बल्कि कला और संस्कृति के आदान प्रदान का अवसर भी प्रदान करते हैं। गुरुवार रात का यह आयोजन भी इसी का प्रतीक रहा जहां जापान की पारंपरिक ड्रम कला और भारतीय संगीत एक साथ मंच पर दिखाई दिए। दर्शकों का उत्साह और उनकी सक्रिय भागीदारी यह बताती है कि शहर ऐसे आयोजनों के प्रति कितना उत्साहित है।

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