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वाराणसी में शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन, चंद्रघंटा की पूजा से भक्तिमय हुआ माहौल

वाराणसी में शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन, चंद्रघंटा की पूजा से भक्तिमय हुआ माहौल

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन वाराणसी में मां चंद्रघंटा की विधि-विधान से पूजा हुई, भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।

शिव की नगरी काशी में इन दिनों नवरात्रि की भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। बुधवार को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन होने के कारण पूरे देश में मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। वाराणसी जिले के चौक थाना क्षेत्र स्थित प्राचीन मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने लगी। मंदिर परिसर माता के जयकारों, घंटियों और ढोल नगाड़ों की ध्वनि से गूंज उठा और वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया।

भोर होते ही श्रद्धालु फूल, नारियल, जल और प्रसाद लेकर मंदिर में पहुंचने लगे। कतारें इतनी लंबी थीं कि लोगों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन चेहरे पर आस्था और उत्साह साफ झलक रहा था। श्रद्धालु मां के दर्शन कर अपने घर परिवार के सुख, शांति और समृद्धि की कामना कर रहे हैं।

मंदिर के पुजारी वैभवनाथ ने बताया कि मां चंद्रघंटा की साधना से जीवन में दुख, भय और दरिद्रता का नाश होता है। मां का यह स्वरूप सौम्यता और शांति का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने कहा कि मां की कृपा से साधक को अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है और घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। पुजारी ने यह भी कहा कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी और तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है।

पुजारी के अनुसार मंदिर लगभग 250 वर्ष पुराना है और इसके महत्व का वर्णन काशी खंड के चौथे भाग स्कंद पुराण में भी किया गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है और प्रशासन की ओर से भक्तों के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं।

श्रद्धालुओं ने भी संतोष जताते हुए कहा कि पूजा अर्चना और दर्शन के लिए प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुचारू हैं और किसी को कोई परेशानी नहीं हो रही है। भक्तों का मानना है कि मां की पूजा से तप, धैर्य, त्याग और संयम की शक्ति मिलती है और हर प्रकार के भय तथा बाधाएं दूर होती हैं।

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