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वाराणसी में अक्टूबर ने तोड़ा 8 साल का रिकॉर्ड, लगातार बारिश से बढ़ा ठंड का प्रकोप

वाराणसी में अक्टूबर ने तोड़ा 8 साल का रिकॉर्ड, लगातार बारिश से बढ़ा ठंड का प्रकोप

वाराणसी में अक्टूबर ने आठ साल का ठंड का रिकॉर्ड तोड़ा, तीस घंटे से लगातार बारिश से तापमान में भारी गिरावट दर्ज हुई है।

वाराणसी में इस साल अक्टूबर ने आठ साल का ठंड का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बीते तीस घंटे से लगातार रिमझिम बारिश हो रही है, जिससे तापमान में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, 2018 के बाद यह पहला मौका है जब अक्टूबर का महीना इतना ठंडा रहा। गुरुवार और शुक्रवार को सूरज की झलक तक नहीं दिखी। शहर में सर्द हवाएं चल रही हैं और लोगों ने गर्म कपड़े निकाल लिए हैं। बारिश और ठंड का यह सिलसिला तूफान मोन्था के प्रभाव से जारी है, जो फिलहाल कमजोर होकर लो प्रेशर सिस्टम में तब्दील हो चुका है।

इसी के असर से पूरे पूर्वांचल में मौसम बदल गया है। प्रयागराज, बलिया, अयोध्या, जौनपुर, गाजीपुर, गोंडा और आजमगढ़ समेत दस से अधिक जिलों में सुबह से रुक रुक कर बारिश हो रही है। कई जगह स्कूल जाने वाले बच्चे रेनकोट और छाते लेकर निकल रहे हैं जबकि बाइक सवारों ने सड़क किनारे लगे होर्डिंग और दुकानों की छज्जों को बारिश से बचने के लिए अस्थायी छतरी बना लिया है। लखनऊ समेत कई शहरों में लगातार तीसरे दिन सूरज नहीं निकला। सर्द हवाओं ने लोगों को अक्टूबर में ही दिसंबर जैसी ठिठुरन का एहसास कराया है।

भारतीय मौसम विभाग ने शुक्रवार को राज्य के अठारह जिलों में गरज चमक के साथ बारिश का अलर्ट जारी किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले चौबीस घंटे तक पूर्वांचल के कई जिलों में तेज हवाएं चल सकती हैं जिनकी रफ्तार तीस से चालीस किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है। वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है।

बारिश और हवाओं का असर खेती पर भी दिखाई दे रहा है। धान की फसल कई इलाकों में कटकर खेतों में पड़ी थी जो अब भीग गई है। कुछ जिलों में खड़ी फसलें हवा से गिर गईं। इससे किसानों में चिंता बढ़ गई है क्योंकि भीगी फसल पर फफूंद लगने और दानों के खराब होने की संभावना है। वहीं, धान कटने के बाद गेहूं और दलहन की बुआई के लिए यह मौसम लाभदायक साबित हो सकता है। मिट्टी में नमी बढ़ने से बिना सिंचाई के जोताई आसान होगी और फसलों का अंकुरण बेहतर रहेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को निर्देश दिया है कि जिन जिलों में बारिश और तेज हवाओं से फसलें प्रभावित हुई हैं, वहां तत्काल सर्वे कराया जाए और किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की जाए। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा मौसम रबी की फसलों जैसे गेहूं, चना, मसूर, मटर और सरसों के लिए उपयुक्त है।

प्रदेश में मौसम के इस अचानक बदलाव ने लोगों की दिनचर्या भी बदल दी है। सुबह और शाम के समय ठंड बढ़ने से लोग चाय की दुकानों पर गर्म पेय का आनंद लेते नजर आ रहे हैं। वहीं, सड़कें और गलियां जगह जगह पानी से भरी पड़ी हैं। मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि शनिवार तक बारिश का प्रभाव धीरे धीरे कम होगा और तापमान में दो से तीन डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है।

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