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वाराणसी: पिशाचमोचन कुंड में पितृपक्ष में गंदगी से लाखों मछलियों की मौत श्रद्धालु परेशान

वाराणसी: पिशाचमोचन कुंड में पितृपक्ष में गंदगी से लाखों मछलियों की मौत श्रद्धालु परेशान

वाराणसी के पिशाचमोचन कुंड में पितृपक्ष के दौरान भारी प्रदूषण से लाखों मछलियों की मौत हो गई, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है।

वाराणसी का पिशाचमोचन कुंड इन दिनों गंभीर समस्या से जूझ रहा है। पितृपक्ष के अवसर पर पूरे देश और विदेश से लोग यहां त्रिपिंडी श्राद्ध करने पहुंच रहे हैं। लेकिन श्राद्धकर्म के दौरान कुंड में हो रही गंदगी और लगातार मछलियों की हो रही मौत ने माहौल को दूषित कर दिया है। स्थानीय लोगों के अनुसार तीर्थ यात्री कुंड में पूजा सामग्री, पत्तल, फूल और पिंडियां डाल रहे हैं जिससे पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है और ऑक्सीजन की कमी के कारण बड़ी संख्या में मछलियां मर रही हैं।

जानकारी के मुताबिक पिछले पांच दिनों से मछलियों की मौत का सिलसिला जारी है। ठेकेदार ने बताया कि पिंडियां चावल से बनाई जाती हैं और उन्हें कुंड में प्रवाहित करने से पानी में ऑक्सीजन का स्तर घट गया है। अब तक 20 कुंतल से अधिक मछलियां निकाली जा चुकी हैं और लगातार मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। अनुमान है कि दो लाख से अधिक मछलियां अब तक मर चुकी हैं। स्थिति यह है कि श्राद्धकर्म करने वाले लोगों को उसी गंदगी और मरी हुई मछलियों के बीच विधि-विधान पूरा करना पड़ रहा है।

पितृपक्ष का पर्व सात सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान लाखों लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करने पिशाचमोचन कुंड पर पहुंचे हैं। यहां श्राद्ध के बाद पिंडियों को कुंड में प्रवाहित करने और जल देने की परंपरा है। लेकिन लगातार 11 दिन बीत जाने के बाद पानी में इतनी गंदगी जमा हो गई है कि वातावरण दुर्गंधयुक्त हो गया है।

स्थानीय तीर्थ पुरोहित अभिषेक उपाध्याय ने बताया कि कुंड की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। उनका कहना है कि कुंड में पिंड प्रवाहित करने के कारण ही ऑक्सीजन की कमी हुई और मछलियां मर रही हैं। उन्होंने बताया कि नगर निगम की गाड़ियां केवल रात में कूड़ा उठाती हैं जबकि दिन में जब सफाई की सबसे अधिक आवश्यकता होती है तब कोई व्यवस्था नहीं होती।

घाट के आचार्य विशाल कुमार पांडेय ने भी कहा कि यजमानों को बार-बार समझाने के बावजूद कई लोग पूजा सामग्री और पिंडियां कुंड में डाल देते हैं। इससे समस्या और गंभीर हो गई है। नगर निगम की एक नाव दिनभर कुंड में मरी मछलियां और प्लास्टिक निकालने का काम करती है, लेकिन मछलियों की संख्या इतनी अधिक है कि सफाई मुश्किल हो रही है।

नगर निगम की ओर से अब तक 20 कुंतल से अधिक मरी मछलियां बाहर निकाली जा चुकी हैं। फिर भी यह कहना मुश्किल है कि यह प्रक्रिया कब थमेगी क्योंकि पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन हजारों लोग यहां आकर पिंड प्रवाहित कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि तत्काल सफाई और उचित प्रबंधन की व्यवस्था नहीं की गई तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

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