News Report
TRUTH BEHIND THE NEWS

वाराणसी: बेसिक शिक्षा की लापरवाही, बच्चों के खेल बजट में मात्र 28 पैसे प्रति छात्र

वाराणसी: बेसिक शिक्षा की लापरवाही, बच्चों के खेल बजट में मात्र 28 पैसे प्रति छात्र

वाराणसी के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के लिए वार्षिक खेल बजट मात्र 70 हजार रुपये, प्रति छात्र 28 पैसे से खेल विकास बाधित।

वाराणसी: बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही और शासन की उदासीनता बच्चों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है। जिले के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब 2.50 लाख बच्चों के लिए खेलकूद का वार्षिक बजट सिर्फ 70 हजार रुपये तय किया गया है। इस बजट को बच्चों की संख्या पर बांटा जाए तो प्रति छात्र महज 28 पैसे ही खर्च हो रहे हैं। सवाल यह है कि इतने मामूली संसाधनों में क्या बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में अपनी पहचान बना पाएंगे।

शासन की मंशा है कि आने वाले वर्षों में भारत से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी ओलंपिक जैसे बड़े मंचों पर हिस्सा लें और मेडल लेकर लौटें। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है। वाराणसी जिले के 1144 प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को पूरे सत्र में 26 तरह के खेलों में भाग लेना होता है। इनमें एथलेटिक्स, कबड्डी, कुश्ती, भारोत्तोलन, खो-खो जैसे खेल शामिल हैं। ये खेल अपेक्षाकृत कम संसाधन मांगते हैं, लेकिन फिर भी बच्चों को अभ्यास और प्रतियोगिता के लिए जरूरी सामान तक नहीं मिल रहा।

खेल शिक्षकों का कहना है कि खेल सामग्री के अभाव में बच्चों को केवल नाम मात्र का अनुभव हो पा रहा है। कबड्डी या खो-खो जैसे खेल बिना जूतों के खेले जाते हैं, क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेल मैदान और उपकरणों की कमी के कारण संभव नहीं हो पाते। तैराकी की प्रतियोगिताएं लाइफ गार्ड न होने के चलते आयोजित नहीं की जातीं और ताइक्वांडो जैसे खेल सेफ गार्ड के अभाव में अधूरे रह जाते हैं। हॉकी जैसे राष्ट्रीय खेल की तो स्थिति और भी खराब है। प्राथमिक स्तर पर न तो हॉकी स्टिक है, न ही किट, और मैदान भी अनुपलब्ध हैं।

जिले के खेल शिक्षकों ने साफ शब्दों में कहा है कि मौजूदा बजट बच्चों की प्रतिभा को दबाने का काम कर रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि कम से कम 10 लाख रुपये का सालाना बजट होना चाहिए, तभी हालात सुधर सकते हैं। वर्तमान स्थिति में बच्चों को खेल का अवसर तो मिल रहा है, लेकिन यह महज औपचारिकता भर रह गई है।

गौर करने वाली बात यह है कि खेल सामग्री खरीदने के लिए अलग से सिर्फ 5000 रुपये का बजट मिलता है। इससे न तो बच्चों के लिए बुनियादी खेल सामग्री खरीदी जा सकती है और न ही प्रतियोगिताओं का सही आयोजन संभव है। बढ़ती महंगाई और संसाधनों की कमी ने प्राथमिक विद्यालयों में खेल संस्कृति को लगभग नाम मात्र पर ला दिया है।

बेसिक शिक्षा परिषद के संयुक्त सचिव वेद प्रकाश राय ने स्वीकार किया है कि मौजूदा बजट बहुत कम है और इसे बढ़ाने के लिए पहले से ही मंथन चल रहा है। परिषद की ओर से प्रस्ताव शासन को भेजा गया है और अनुमति मिलते ही बजट में इजाफा किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि कब तक बच्चे बिना संसाधनों के अपनी प्रतिभा को दबाते रहेंगे।

FOLLOW WHATSAPP CHANNEL
Bluva Beverages Pvt. Ltd

LATEST NEWS