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वाराणसी: लगातार बारिश से धान-सब्जी की फसलें जलमग्न, किसानों की बढ़ी चिंता

वाराणसी: लगातार बारिश से धान-सब्जी की फसलें जलमग्न, किसानों की बढ़ी चिंता

वाराणसी में चार दिनों की मूसलाधार बारिश से धान व सब्जियों की फसलें जलमग्न हो गईं, जिससे किसानों की उपज बर्बाद होने का खतरा है।

वाराणसी में पिछले चार दिनों से जारी लगातार बारिश ने किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। बीती रात हुई तेज बरसात के बाद कई इलाकों में खेतों में पानी भर गया, जिससे धान की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कटाई के लिए तैयार फसलें अब पानी में तैरती दिखाई दे रही हैं। खेतों में भरे पानी ने न केवल धान बल्कि सब्जियों की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। किसानों का कहना है कि अगर बारिश जल्द नहीं थमी और जल निकासी की व्यवस्था नहीं हुई, तो इस सीजन की पूरी मेहनत बर्बाद हो जाएगी।

ग्राम प्रधानों और स्थानीय किसानों के अनुसार, बारिश के कारण हरहुआ, चोलापुर, सेवापुरी, बड़ागांव और पिंडरा क्षेत्र के अधिकांश खेतों में घुटने भर पानी जमा हो गया है। कई जगहों पर पानी इतना बढ़ गया है कि खेतों की सीमाएं भी दिखाई नहीं दे रही हैं। धान की बालियां झुककर गिर चुकी हैं, जिससे फसल कटाई योग्य नहीं रह गई। किसान अब खेतों से फसल को किसी तरह निकालकर ऊंचे स्थानों पर सुखाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लगातार हो रही बारिश के चलते यह काम भी कठिन साबित हो रहा है।

लालपुर के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि धान की फसल कटाई के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन अब खेतों में पानी भर जाने से पौधे गिर गए हैं और दाने सड़ने लगे हैं। उन्होंने कहा कि अगर दो दिन में पानी नहीं निकाला गया तो पूरी उपज खत्म हो जाएगी। इसी तरह चोलापुर क्षेत्र के किसान संजय यादव का कहना है कि धान के साथ-साथ खेतों में लगी गोभी, टमाटर और आलू की पौध भी सड़ने लगी है। इससे आने वाले दिनों में सब्जियों के दामों में तेजी आने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार, पूर्वी उत्तर प्रदेश में अभी दो दिन और बारिश के आसार हैं। लगातार हो रही वर्षा से गंगा और वरुणा नदियों का जलस्तर भी बढ़ रहा है, जिससे खेतों के किनारे बसे गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं। किसानों को डर है कि अगर बारिश का दौर जारी रहा, तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा।

कई किसानों ने बताया कि खेतों में जल निकासी की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होने के कारण हर साल बारिश के मौसम में ऐसी स्थिति बन जाती है। इस बार नुकसान पहले से कहीं अधिक है क्योंकि धान की फसल लगभग तैयार थी। किसानों ने प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द जल निकासी की व्यवस्था की जाए और फसलों के नुकसान का सर्वे कराकर उचित मुआवजा दिया जाए।

ग्रामीण इलाकों में अब किसान अपनी बची हुई फसलों को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ किसानों ने पंपिंग सेट के जरिए पानी निकालने की शुरुआत की है, लेकिन बिजली आपूर्ति बाधित रहने से यह काम सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा। खेतों में पानी भरे रहने से पशुओं के चारे की भी समस्या खड़ी हो गई है।

कुल मिलाकर, वाराणसी के ग्रामीण इलाकों में लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खेतों में तैरती फसलें और सड़ती सब्जियां उनकी मेहनत की कहानी बयां कर रही हैं। अब किसानों की नजर आसमान पर टिकी है कि कब बादल छंटें और उनकी फसलें बच सकें।

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