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वाराणसी: राजघाट पर गंगा महोत्सव का भव्य शुभारंभ, दीपों से जगमगा उठा घाट

वाराणसी: राजघाट पर गंगा महोत्सव का भव्य शुभारंभ, दीपों से जगमगा उठा घाट

वाराणसी के राजघाट पर गंगा महोत्सव का भव्य शुभारंभ हुआ, मंत्री रविंद्र जायसवाल ने पांच दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव का उद्घाटन किया।

वाराणसी: शिव की नगरी काशी में देव दीपावली के पूर्व गंगा महोत्सव का भव्य शुभारंभ सोमवार की शाम राजघाट पर हुआ। दीपों की लौ और संगीत की स्वर लहरियों से पूरा घाट जगमगा उठा। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने दीप प्रज्वलित कर इस पाँच दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव का उद्घाटन किया। उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने कहा कि गंगा महोत्सव काशी की पहचान बन चुका है, यह न केवल बनारस के संगीत घरानों का संगम है बल्कि भारत की विविध कला परंपराओं का भी उत्सव है।

कार्यक्रम के शुभारंभ पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या और नगर आयुक्त हिमांशु नागपाल सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। घाट पर मौजूद दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट और उत्साह भरे जयघोष से कार्यक्रम का स्वागत किया।

पहली निशा की शुरुआत पंडित माता प्रसाद मिश्र और पंडित रविशंकर मिश्र के युगल कथक नृत्य से हुई। मंच पर उनकी लय, भाव और ताल की सटीक संगति ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद ओडिसी नृत्यांगना कविता मोहंती और उनकी टीम ने भगवान राम की आराधना पर आधारित नृत्य प्रस्तुति दी, जिससे राजघाट का वातावरण भक्तिभाव से भर गया।

शास्त्रीय संगीत की श्रृंखला में श्वेता दुबे ने अपनी गायकी से घाट पर बैठे श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनकी आवाज में काशी की मिट्टी की मिठास और गहराई झलक रही थी। इसके बाद सुप्रसिद्ध कलाकार विदुषी कमला शंकर ने स्लाइड गिटार पर अपनी जादुई प्रस्तुति से कार्यक्रम को नई ऊंचाई दी।

संयुक्त निदेशक पर्यटन, वाराणसी मंडल, दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि गंगा महोत्सव 1 नवंबर से 4 नवंबर तक चलेगा। पहले दिन कुल आठ प्रस्तुतियां हुईं, जबकि दूसरे दिन नौ प्रस्तुतियों का आयोजन किया जाएगा जिनमें पद्मश्री गीता चंद्रन का भरतनाट्यम विशेष आकर्षण रहेगा। 3 नवंबर को आठ प्रस्तुतियों के बीच लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी अपनी आवाज से बनारस की संस्कृति को जीवंत करेंगी। वहीं 4 नवंबर की अंतिम निशा में लोकप्रिय गायक हंसराज रघुवंशी अपनी प्रस्तुति से महोत्सव को यादगार बनाएंगे।

गंगा तट पर चल रहा यह आयोजन केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम बन चुका है। दीपों से सजे घाट, संगीत की मधुर ध्वनि और नृत्य की लय में डूबी काशी ने एक बार फिर यह साबित किया है कि गंगा महोत्सव केवल उत्सव नहीं, बल्कि बनारस की आत्मा का उत्सव है।

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