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वाराणसी: अतिक्रमण और अवैध पार्किंग से जूझ रही यातायात व्यवस्था

वाराणसी: अतिक्रमण और अवैध पार्किंग से जूझ रही यातायात व्यवस्था

वाराणसी में अतिक्रमण और अवैध पार्किंग से यातायात बाधित

वाराणसी धर्म, अध्यात्म और पर्यटन का प्रमुख केंद्र होने के साथ पूर्वांचल की शिक्षा, चिकित्सा और व्यापारिक जरूरतों का महत्वपूर्ण आधार भी है। शहर की सड़कों पर हर दिन लाखों लोगों की आवाजाही होती है, लेकिन बढ़ते अतिक्रमण और अवैध पार्किंग ने यातायात को अस्तव्यस्त कर दिया है। भले ही ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने पर वर्षों में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हों, लेकिन जमीनी स्थिति में अपेक्षित बदलाव नहीं दिख रहा है। इसी मुद्दे को सामने रखते हुए दैनिक जागरण सुगम यातायात के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने जा रहा है।

काशी की विशेषता यह है कि यहां 40 लाख की आबादी के अलावा देश विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु, छात्र और पर्यटक रोजाना पहुंचते हैं। गंगा स्नान, बाबा विश्वनाथ के दर्शन, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्ययन और व्यापारिक कारणों से शहर का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ती आवाजाही का भार शहर की प्राचीन और संकरी सड़कों पर साफ दिखाई देता है। हाल के वर्षों में सड़क चौड़ीकरण के प्रयास हुए, लेकिन बिना सुविचारित सिस्टम और निगरानी के यह प्रयास अधूरे साबित हुए।

शहर की लगभग हर सड़क पर दुकानें सीमाओं से बाहर फैल कर पाथवे और सड़क का हिस्सा घेर लेती हैं। इनके आगे ठेले और खोमचे लगते हैं, और फिर ग्राहकों के वाहन सड़क को और संकरा कर देते हैं। चौराहों पर 100 मीटर तक वाहन खड़ा करने पर रोक है, लेकिन अधिकांश प्रमुख चौराहों पर अवैध पार्किंग की लंबी कतारें ही नजर आती हैं।

जहां सड़कें अतिक्रमण से बची भी हों, वहां भी वाहनों को रफ्तार पकड़ना मुश्किल होता है। इसका कारण मनमाने तरीके से बनाए गए कट हैं, जिनसे अचानक वाहन मुड़ जाते हैं और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। ट्रैफिक सिग्नल स्थापित करने पर बड़े बजट खर्च हुए, लेकिन कई स्थानों पर लाल और हरी बत्तियां सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई हैं। सिग्नल के बाद भी यदि चार से छह पुलिसकर्मी डंडा लेकर खड़े न हों तो यातायात अपनी मर्जी से चलता रहता है। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि व्यवस्थाओं की कमजोरी के साथ नागरिकों में भी सिविक सेंस की कमी है।

कई बड़े शोरूम पार्किंग के नाम पर सिर्फ दो फीट जगह भी नहीं छोड़ते। जहां अंडरग्राउंड पार्किंग बनी है, वहां भी नियमों का पालन नहीं होता। नागरिक अपनी सुविधा के लिए पूरे सिस्टम को असुविधा में डालते हैं, और इसका असर पूरी शहर व्यवस्था पर पड़ता है।

हर नागरिक, प्रशासन और स्थानीय संस्थाओं को जोड़कर सुगम, सुरक्षित और व्यवस्थित यातायात की राह बनाना है। खबरों के साथ विभिन्न गतिविधियों के जरिए यह प्रयास शहरवासियों के बीच जागरूकता बढ़ाने का काम करेगा। काशी की सड़कों को ज्ञान, आस्था और ऊर्जा की तरह व्यवस्थित और स्वच्छ बनाने के लिए अब समय है कि हर नागरिक अपना योगदान दे।

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