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वाराणसी: देश की पहली अर्बन रोपवे परियोजना अक्टूबर में होगी शुरू

वाराणसी: देश की पहली अर्बन रोपवे परियोजना अक्टूबर में होगी शुरू

वाराणसी में 807 करोड़ की अर्बन रोपवे परियोजना अक्टूबर तक पूरी होकर जनता के लिए शुरू होगी, जिससे ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी।

वाराणसी: देश की पहली अर्बन रोपवे परियोजना अब अंतिम चरण में है और अक्टूबर तक इसे जनता के लिए शुरू करने की तैयारी चल रही है। 807 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह अनोखा प्रोजेक्ट न केवल काशी की तस्वीर बदलेगा बल्कि यहां की सबसे बड़ी समस्या यानी ट्रैफिक जाम को भी काफी हद तक कम करेगा। कैंट रेलवे स्टेशन से रथयात्रा इलाके तक पहले चरण का काम 30 सितंबर तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है और अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसे शुरू करने की योजना है। विद्यापीठ और रथयात्रा स्टेशन पूरी तरह से तैयार हैं और कार्यदायी विभाग नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड के अधिकारियों ने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भरोसा दिलाया कि तय समय पर यह काम पूरा कर लिया जाएगा।

काशी दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरों में गिना जाता है। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण यहां रोजाना लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। संकरी गलियां, तीर्थयात्रियों की भीड़ और लगातार बढ़ते वाहनों की वजह से शहर में रोजमर्रा की सबसे बड़ी चुनौती ट्रैफिक जाम है। शहर की आबादी करीब 20 लाख है जबकि वाहनों की संख्या 14 लाख से अधिक हो चुकी है। सड़क नेटवर्क बेहद सीमित होने के कारण कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया या रथयात्रा जैसी 3.5 किलोमीटर की दूरी सामान्य दिनों में 40 से 45 मिनट और त्योहारों पर डेढ़ से दो घंटे में तय करनी पड़ती है। ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट बताते हैं कि वाराणसी की औसत यातायात गति 8 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं है। यह स्थिति विद्यार्थियों, व्यापारियों और पर्यटकों सभी को प्रभावित करती है।

इस पृष्ठभूमि में रोपवे प्रोजेक्ट काशीवासियों के लिए उम्मीद की नई किरण है। जुलाई के अंतिम सप्ताह से 10 मोनो केबल डिटेचेबल गोंडोला यानी केबल कार का बिना भार के मूवमेंट शुरू किया गया है। सितंबर के दूसरे सप्ताह तक गति, संतुलन और सुरक्षा से जुड़े परीक्षण किए जाएंगे। 15 सितंबर से लोड टेस्टिंग प्रक्रिया शुरू होगी जिसमें करीब सवा तीन किलोमीटर लंबे कॉरिडोर में प्रत्येक केबल कार पर 400 किलोग्राम भार का परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए रेत की बोरियां और पानी की बोतलों का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही 23 टावरों पर लगाए गए 163 सेंसरों का परीक्षण भी किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि एक माह के भीतर सभी परीक्षण पूरे कर लिए जाएंगे ताकि यात्रियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित संचालन सुनिश्चित हो सके।

परियोजना से जुड़े विशेषज्ञों का दावा है कि इसके शुरू हो जाने पर प्रतिदिन एक लाख से अधिक लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। वाराणसी कैंट से गोदौलिया तक की दूरी सिर्फ 16 मिनट में तय हो जाएगी, जबकि मौजूदा समय में जाम के कारण यह सफर 40 से 45 मिनट लेता है। हर एक से दो मिनट के अंतराल पर केबल कार उपलब्ध होगी और रोजाना 16 घंटे इसका संचालन किया जाएगा।

रोपवे को लेकर शहर के लोग भी काफी उत्साहित हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा प्रीति सिंह का कहना है कि अक्सर परीक्षा या इंटरव्यू के लिए समय पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है, लेकिन रोपवे शुरू होने के बाद यह परेशानी खत्म होगी। व्यापारी और स्थानीय लोग भी मानते हैं कि यह परियोजना न केवल ट्रैफिक समस्या को कम करेगी बल्कि पर्यटन को भी नया आयाम देगी।

अक्टूबर से आसमान में सफर कराने वाला यह आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम काशी को देश के बाकी शहरों के लिए एक उदाहरण बना देगा। जहां प्राचीनता और आधुनिकता का संतुलन हमेशा चुनौती रहा है, वहीं यह परियोजना साबित करेगी कि परंपरा और विकास साथ-साथ चल सकते हैं।

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