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वाराणसी में वाटर मेट्रो चलाने की तैयारी तेज, 2025 तक सर्वे पूरा करने का लक्ष्य

वाराणसी में वाटर मेट्रो चलाने की तैयारी तेज, 2025 तक सर्वे पूरा करने का लक्ष्य

वाराणसी में वाटर मेट्रो चलाने की तैयारियां शुरू, दिसंबर 2025 तक सर्वेक्षण पूरा होगा जिससे यातायात कम होगा और पर्यटन बढ़ेगा।

वाराणसी: पूर्वांचल के धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र वाराणसी में परिवहन की दिशा में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है। शहर में वाटर मेट्रो चलाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस परियोजना के तहत दिसंबर 2025 तक सर्वेक्षण कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड को इस सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी है। वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट न केवल पर्यावरण के अनुकूल होगा, बल्कि शहर में बढ़ते यातायात दबाव को कम करने और पर्यटन को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

आईडब्ल्यूएआई की योजना के अनुसार, उत्तर प्रदेश के वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज समेत देश के 18 प्रमुख शहरों में अर्बन वाटर मेट्रो सेवा शुरू की जाएगी। इसके लिए आवश्यक सर्वेक्षण कार्य पूरे देश में समानांतर रूप से जारी है। वाराणसी में आठ स्थानों पर वाटर मेट्रो स्टेशनों के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है। इनमें रामनगर स्थित आईडब्ल्यूएआई टर्मिनल, शास्त्री घाट, संत रविदास घाट, चेत सिंह घाट, ललिता घाट, पंचगंगा घाट, नमो घाट और केशव घाट प्रमुख रूप से शामिल हैं।

अधिकारियों के अनुसार, सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर इन स्थानों पर जेटी, टिकटिंग काउंटर, प्रतीक्षालय और सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित आवश्यक ढांचा तैयार किया जाएगा। इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद गंगा नदी के माध्यम से शहर के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का एक नया मार्ग विकसित होगा। इससे यात्रियों को सड़क जाम से राहत मिलेगी और गंगा किनारे के क्षेत्रों में पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा।

प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि वाटर मेट्रो का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और हरित परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देना है। इसके संचालन से प्रदूषण में कमी आएगी और शहर का पारंपरिक स्वरूप भी बरकरार रहेगा। गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में वाटर मेट्रो चलने से धार्मिक पर्यटन को गति मिलेगी, जिससे वाराणसी का आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ेगा।

वाराणसी में पहले ही गंगा पर क्रूज और फेरी सेवाओं के संचालन का अनुभव मौजूद है। ऐसे में वाटर मेट्रो इस व्यवस्था को और आधुनिक और व्यवस्थित स्वरूप देने का काम करेगी। यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ गंगा और हरित परिवहन के विजन से भी जुड़ा हुआ है। वाटर मेट्रो के जरिए लोगों को तेज, सुलभ और सुरक्षित यात्रा का नया विकल्प मिलेगा।

आईडब्ल्यूएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक के अंतर्गत आने वाले वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज जैसे शहरों में वाटर मेट्रो का संचालन धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन दृष्टि से अत्यंत लाभदायक साबित होगा। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि इन शहरों में जलमार्ग आधारित परिवहन को लेकर नागरिकों और पर्यटकों दोनों की ओर से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है।

इस परियोजना के सफल होने के बाद उत्तर प्रदेश के अन्य जलमार्गों पर भी इसी मॉडल को लागू करने की योजना है। यह कदम भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।

वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट के माध्यम से सरकार का उद्देश्य न केवल स्थानीय यात्रियों को जाम से मुक्ति दिलाना है, बल्कि धार्मिक पर्यटन को वैश्विक स्तर पर आकर्षक बनाना भी है। यह परियोजना वाराणसी जैसे प्राचीन शहर में आधुनिक परिवहन व्यवस्था का नया अध्याय जोड़ेगी और आने वाले वर्षों में इसका लाभ लाखों यात्रियों को मिलेगा।

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