वाराणसी: मलदहिया स्थित हिंदुस्तान होटल में शुक्रवार को वाराणसी के परंपरागत बुनकर समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पहल देखने को मिली। इस कार्यक्रम का आयोजन बनारज़ी के निदेशक आदिल कैसर के नेतृत्व में किया गया, जिसमें आदित्य बिरला समूह और भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
इस विशेष अवसर पर आयोजित सेमिनार में शहर और आसपास के 200 से अधिक प्रतिष्ठित बुनकरों के साथ-साथ सरकारी विभागों, वस्त्र उद्योग से जुड़े विशिष्ट जनों और सामाजिक संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी रही। इस पहल का उद्देश्य बुनकरों को न केवल बाजार की वर्तमान आवश्यकताओं के प्रति जागरूक करना था, बल्कि उन्हें आधुनिक, टिकाऊ और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित रेशों की ओर स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करना भी था।
कार्यक्रम की शुरुआत वस्त्र मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा की गई, जिसमें उन्होंने भारत सरकार की बुनकरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बुनकरों को सरकारी सहायता, प्रशिक्षण और बाजार पहुंच के नए अवसरों के विषय में जागरूक किया। इसी क्रम में बुनकरों को ब्रॉशर, यार्न सैंपल और तकनीकी मार्गदर्शिकाएं भी वितरित की गईं, जिससे वे नवाचारों को अपनाकर अपने उत्पादों की गुणवत्ता और विपणन क्षमता बढ़ा सकें।
इसके पश्चात, आदित्य बिरला समूह के साड़ी श्रेणी प्रबंधक प्रदीप गरुड़ और कार्तिकेयन थंगावेल, डीजीएम साड़ी श्रेणी व्यवसाय विकास ने एक इंटरैक्टिव ज्ञान-साझाकारी सत्र आयोजित किया, जिसमें उन्होंने डिज़ाइन नवाचार और आधुनिक बाजार की मांगों पर खुलकर चर्चा की। बुनकरों को बताया गया कि कैसे वे पारंपरिक तकनीकों को नवीनतम डिज़ाइनों और अंतरराष्ट्रीय रुझानों के साथ जोड़कर अपनी हस्तकला को वैश्विक मंच पर पहचान दिला सकते हैं।
इस पूरे कार्यक्रम की एक मुख्य विशेषता थी बिरला सेलुलोसिक फाइबर को बढ़ावा देना। एक नवीन, टिकाऊ और पर्यावरण-मित्र फाइबर जो प्राकृतिक रूप से बायोडिग्रेडेबल होता है और लकड़ी के गूदे से तैयार किया जाता है। यह फाइबर न केवल कोमलता और श्वसन क्षमता प्रदान करता है बल्कि आधुनिक उपभोक्ताओं की पर्यावरणीय जागरूकता के अनुरूप भी है। इस फाइबर की विशेषताएं बुनकरों को साड़ी, वस्त्र और घरेलू उपयोग के उत्पादों में एक नया विकल्प देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
बिरला सेलुलोसिक फाइबर की तीन मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
✅सतत स्रोतों से प्राप्त बायोडिग्रेडेबल फाइबर, जो पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करता है।
✅लुभावना आराम, जो पारंपरिक कारीगरी को उच्च गुणवत्ता और आधुनिक उपयोगिता के साथ जोड़ता है।
✅विविधता, जो इसे साड़ी, परिधान और गृहवस्त्र जैसे विभिन्न उत्पादों में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाती है।
कार्यक्रम में बनारज़ी के निदेशक आदिल कैसर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "हमारा मिशन बनारसी विरासत को सतत विकास के साथ जोड़ना है। बुनकरों को पर्यावरण-हितैषी विकल्पों से सशक्त कर, हम उन्हें वैश्विक मंच तक पहुँचाने के लिए सक्षम बना रहे हैं। यही स्थायी समृद्धि की कुंजी है।"
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों के रूप में संजय कुमार गुप्ता (उप निदेशक, बुनकर सेवा केंद्र), केशव जालान (प्रबंध निदेशक, जालान ग्रुप) और अरुण कुमार कुरिल (सहायक आयुक्त, हैंडलूम एवं वस्त्र, वाराणसी) भी उपस्थित रहे। इन सभी ने कार्यक्रम के उद्देश्य की सराहना करते हुए इस प्रकार की पहल को बुनकर समुदाय के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
इस संयुक्त प्रयास ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि बनारसी बुनकरों की पहचान को बनाए रखते हुए उन्हें आधुनिक टेक्सटाइल उद्योग के अनुकूल बनाने की दिशा में गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। यह पहल न केवल बुनकरों की आजीविका को सुरक्षित करेगी, बल्कि बनारसी कारीगरी को वैश्विक मानचित्र पर एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने में भी सहायक सिद्ध होगी।
वाराणसी: बुनकरों के सशक्तिकरण हेतु सेमिनार का आयोजन, सरकारी योजनाओं पर हुई चर्चा

वाराणसी में पारंपरिक बुनकरों को सशक्त करने के लिए सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें आदित्य बिरला समूह और वस्त्र मंत्रालय के अधिकारियों ने भाग लिया, सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई।
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