वाराणसी: काशी नगरी ने रविवार को एक अद्भुत और ऐतिहासिक धार्मिक दृश्य का साक्षी बना। चंद्रग्रहण से पहले गंगा घाटों और मंदिरों में विशेष पूजन और आरती की गई। इस बार खास यह रहा कि विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती, जो सामान्यतः शाम के समय आयोजित होती है, उसे सूतक काल के कारण दोपहर में सम्पन्न कराया गया। यह अवसर इसलिए भी अनोखा रहा क्योंकि बीते 34 वर्षों में यह केवल पांचवीं बार हुआ है जब गंगा आरती दिन में आयोजित की गई।
दोपहर के समय गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने इसे और भी भव्य बना दिया। दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट और अस्सी घाट पर 11 बटुकों द्वारा वेद मंत्रों और शंखध्वनि के बीच मां गंगा का पूजन-अर्चन किया गया। गंगोत्री सेवा समिति, गंगा सेवा निधि और अस्सी गंगा आरती समिति ने मिलकर पूरे अनुष्ठान को सम्पन्न कराया। वहीं अन्य घाटों पर भी स्थानीय लोगों ने श्रद्धाभाव से गंगा आरती की। इस दौरान हर-हर महादेव के जयकारों और मंत्रोच्चार से पूरा घाट क्षेत्र गूंजायमान हो उठा।
श्रवण मिश्रा, गंगा आरती आयोजन समिति से जुड़े पदाधिकारी ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है, जिसके चलते आरती स्थल को बदला गया। उन्होंने कहा कि "यह दृश्य वास्तव में अविस्मरणीय था, क्योंकि हजारों श्रद्धालु दोपहर की इस विशेष आरती के साक्षी बने।" श्रद्धालु भी मानते हैं कि दिन के समय होने वाली यह आरती उनके जीवन में एक अनोखा और पवित्र अनुभव बन गई।
ग्रहण के कारण धार्मिक परंपराओं के अनुसार सूतक काल आरंभ होने से पहले ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। काशी के अन्नपूर्णा मंदिर, गौरी केदारेश्वर मंदिर, तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर और महामृत्युंजय मंदिर सहित प्रमुख देवालयों में दोपहर तक ही पूजन-अर्चन कर लिया गया। जैसे ही सूतक काल शुरू हुआ, मंदिरों के द्वार बंद कर दिए गए और भगवान को तुलसी दल अर्पित कर भोग अर्पण कर रखा गया। मंदिरों के कपाट 8 सितंबर की भोर में अपने नियत समय पर दोबारा खुलेंगे।
वहीं संकटमोचन मंदिर में मध्याह्न आरती के बाद मंदिर को बंद कर दिया गया। इसी तरह बड़ी शीतला मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, कालभैरव मंदिर, देवी कूष्मांडा मंदिर, तुलसी मानस मंदिर, त्रिदेव मंदिर और श्याम मंदिर के पट भी दोपहर में बंद कर दिए गए।
चंद्रग्रहण का समय
धार्मिक मान्यताओं और पंचांग गणना के अनुसार, रविवार की रात देशभर में पूर्ण चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा। काशी में चंद्रग्रहण का स्पर्श काल रात 9:58 बजे से आरंभ होकर रात 1:26 बजे तक रहेगा। ग्रहण का मध्य चरण रात 11:42 बजे होगा। इसके पूर्व, ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू हो चुका था।
वाराणसी की धार्मिक परंपराओं और आस्था से जुड़े इस आयोजन ने न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं, बल्कि देश-विदेश से आए पर्यटकों को भी आकर्षित किया। गंगा तट पर दिन में होने वाली इस अद्वितीय आरती का नजारा हर किसी के लिए अविस्मरणीय बन गया।
धर्म नगरी काशी में 34 साल बाद चंद्रग्रहण से पहले हुई दोपहर की गंगा आरती, दिखा अद्भुत नजारा

वाराणसी में 34 साल बाद चंद्रग्रहण के सूतक काल के कारण दोपहर में गंगा आरती संपन्न हुई, जिसमें भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।
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