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वाराणसी: तेलंगाना में प्रताड़ना के बाद वृद्धा ने की आत्महत्या, तीन आरोपी नामजद

वाराणसी: तेलंगाना में प्रताड़ना के बाद वृद्धा ने की आत्महत्या, तीन आरोपी नामजद

तेलंगाना में उत्पीड़न के बाद वाराणसी में वृद्धा ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट पर तीन के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ।

वाराणसी: तेलंगाना के करीमनगर जिले की कालोजी नगर निवासी 65 वर्षीय वृद्धा थंगापल्ली स्वरूपा की आत्महत्या के चार महीने बाद मामला आखिरकार पुलिस कार्रवाई की दहलीज तक पहुंचा। रविवार को वाराणसी के मंडुवाडीह थाने में सुसाइड नोट के आधार पर तेलंगाना के तीन लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और धमकी देने सहित गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। आरोपियों में बोल्गाम चंदन कुमार, बोल्गाम अनुदीप उर्फ वेंकटेश गौड़ और अडेली कोंडल रेड्डी शामिल हैं।

पीड़िता के बेटे थंगापल्ली तेजा, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, ने पुलिस को बताया कि उनकी मां को आरोपियों ने पहले तेलंगाना में चाकू की नोक पर 40 लाख रुपये के बांड पेपर पर जबरन हस्ताक्षर कराए थे। इस दौरान न सिर्फ उन्हें और उनकी मां को जान से मारने की धमकी दी गई, बल्कि मारपीट और मानसिक उत्पीड़न का सिलसिला भी जारी रहा। हालात ऐसे बने कि उन्हें तेलंगाना छोड़ना पड़ा। मां को लेकर वह वाराणसी पहुंचे, जहां कुछ दिन अस्सी घाट स्थित एक गेस्ट हाउस में ठहरने के बाद 3 अप्रैल को मंडुवाडीह के ककरमत्ता इलाके के एक होटल ‘फोर एलिमेंट’ के कमरा नंबर 104 में रुके। अगले दिन बेटा थंगापल्ली तेजा किसी जरूरी काम से हैदराबाद चला गया, लेकिन 5 अप्रैल को दोपहर करीब 12:40 बजे उनकी मां ने आत्महत्या कर ली।

खुदकुशी के बाद होटल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें तीनों आरोपियों का नाम और उनके द्वारा किए गए उत्पीड़न का स्पष्ट उल्लेख था। बावजूद इसके, तत्कालीन मंडुवाडीह थाना प्रभारी ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया। पीड़ित बेटा चार माह तक लगातार थाने और अधिकारियों के चक्कर काटता रहा, लेकिन उसे इंसाफ नहीं मिला।

आखिरकार चार माह बाद पीड़ित के प्रयासों और दबाव के बाद पुलिस हरकत में आई और रविवार को मामला दर्ज कर लिया गया। मंडुवाडीह थाना प्रभारी अजय राय वर्मा ने जानकारी दी कि केस दर्ज करने के बाद इसे तेलंगाना की संबंधित कोतवाली को ट्रांसफर कर दिया गया है, ताकि आगे की जांच वहीं से की जा सके।

यह मामला न सिर्फ पीड़िता की त्रासदी और सिस्टम की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि समय पर कार्रवाई न होने से कैसे एक पीड़ित परिवार न्याय के लिए महीनों संघर्ष करता है। अब जब मामला दर्ज हो चुका है, परिजनों को उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी और उन्हें न्याय मिलेगा।

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