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वाराणसी: वरुणा नदी का ड्रोन से एरियल सर्वे शुरू, पुनर्जीवन की दिशा में बड़ा कदम

वाराणसी: वरुणा नदी का ड्रोन से एरियल सर्वे शुरू, पुनर्जीवन की दिशा में बड़ा कदम

वाराणसी में वरुणा नदी के पुनर्जीवन के लिए ड्रोन से एरियल सर्वे शुरू किया गया है, जिससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पहचान होगी।

वाराणसी: काशी की जीवनदायिनी मानी जाने वाली वरुणा नदी अब आधुनिक तकनीक की मदद से पुनर्जीवन की दिशा में आगे बढ़ रही है। शहर में इन दिनों वरुणा नदी का ड्रोन के माध्यम से एरियल सर्वेक्षण किया जा रहा है। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य नदी के दोनों किनारों का सटीक एरियल मैप तैयार करना है, जिससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पहचान, जल प्रवाह का विश्लेषण और भविष्य की विकास योजनाओं में मदद मिल सके। यह कार्य सर्वे ऑफ इंडिया के निर्देश पर आरव अनमैन्ड सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कर रही है।

कंपनी के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर सुधांशु सिंह ने बताया कि सर्वे के तहत वरुणा नदी के मध्य बिंदु से दोनों तरफ दो-दो किलोमीटर की त्रिज्या में एरियल मैप तैयार किया जा रहा है। यह सर्वे नदी के उद्गम स्थल फूलपुर प्रयागराज से लेकर वाराणसी तक लगभग 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया जाएगा। इस दौरान आधुनिक फिक्स विंग हाइब्रिड ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें लिडार सेंसर और हाई रिजोल्यूशन ऑप्टिकल कैमरा लगाया गया है। यह कैमरा 16 एमएम लेंस और शटर तकनीक से लैस है, जो 21 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उड़ते हुए हर सेकंड एक उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीर खींचता है।

कंपनी ने बताया कि 13 किलोग्राम वजनी यह ड्रोन 120 मीटर की ऊंचाई से फोटो ले रहा है। चूंकि नदी का एक बड़ा हिस्सा वाराणसी एयरपोर्ट के येलो जोन में आता है, इसलिए वहां ड्रोन उड़ाने के लिए एटीसी से अनुमति लेना आवश्यक है। एटीसी की अनुमति के बाद ही ड्रोन उड़ाया जाता है, ताकि विमान संचालन में कोई बाधा न आए। जैसे ही सर्वेक्षण दल एयरपोर्ट से 12 किलोमीटर दूर ग्रीन जोन में पहुंचेगा, कार्य की गति और तेज हो जाएगी क्योंकि वहां अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।

सर्वेक्षण का उद्देश्य केवल नदी की मौजूदा स्थिति को जानना नहीं, बल्कि भविष्य की योजनाओं को आकार देना भी है। इस एरियल मैप के जरिए सिंचाई विभाग को डैम, पुल-पुलिया, बंधी और अन्य निर्माण कार्यों की रूपरेखा तैयार करने में आसानी होगी। साथ ही, बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी यह डेटा काफी उपयोगी साबित होगा।

वरुणा नदी का यह सर्वेक्षण वाराणसी की एक लंबी पहल का परिणाम है। वर्ष 2016 में दैनिक जागरण ने नदी के उद्धार के लिए एक विशेष जनजागरण अभियान चलाया था। उस समय नदी की स्थिति काफी दयनीय थी और उसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा था। जागरण के इस अभियान के बाद तत्कालीन मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण ने पहल करते हुए वरुणा नदी की सफाई और पुनरुद्धार का कार्य प्रारंभ कराया।

इमिलिया घाट से पुराने पुल तक की 8 किलोमीटर लंबी नदी पट्टी से गाद निकाली गई और दोनों किनारों पर जीओ तकनीक से पाथवे तैयार किए गए। बाद में इजराइल और डेनमार्क की तकनीकी सहायता से नदी पुनर्जीवन की एक विस्तृत योजना बनी, जिसमें जल गुणवत्ता सुधार और जैव विविधता संरक्षण को भी जोड़ा गया। बीएचयू ने भी इस दिशा में वैज्ञानिक अध्ययन किया, जिसमें नदी के ढलान, प्रवाह और जलीय जीवन का विश्लेषण किया गया।

आज ड्रोन सर्वेक्षण के माध्यम से यह प्रयास और भी व्यापक रूप ले रहा है। प्रशासन को उम्मीद है कि सर्वे पूरा होने के बाद न केवल नदी की मौजूदा स्थिति का सटीक आंकलन होगा, बल्कि आने वाले वर्षों में इसके पुनर्जीवन, बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरण संतुलन के लिए ठोस योजनाएं बनाई जा सकेंगी।

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