लखनऊ: राजधानी लखनऊ में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में प्रदेश कैबिनेट की अहम बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में कुल 16 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 15 को मंजूरी दी गई जबकि कृषि से जुड़े एक प्रस्ताव को आगे के अध्ययन और पुनर्विचार के लिए फिलहाल स्थगित रखा गया। बैठक का सबसे बड़ा और आमजन से सीधा जुड़ा फैसला शहरी परिवहन और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में लिया गया, जिसके तहत लखनऊ और कानपुर के लिए इलेक्ट्रिक बस संचालन की नई योजना को हरी झंडी मिल गई।
बैठक में नगर विकास मंत्री एके शर्मा द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव को महत्वपूर्ण माना गया। योजना के मुताबिक लखनऊ और कानपुर में निजी ऑपरेटरों को ई-बस चलाने की अनुमति दी जाएगी। शुरुआती चरण में दोनों शहरों के 10-10 रूटों पर कुल 20 रूटों पर बसें संचालित होंगी। यह परियोजना नेट-कॉस्ट बेसिक कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर आधारित होगी, जिसमें ऑपरेटर बसों की खरीद और संचालन की जिम्मेदारी निभाएंगे, जबकि सरकार चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराएगी और लाइसेंस/टेंडर प्रक्रिया से ऑपरेटरों का चयन करेगी। किराये का निर्धारण सरकार के पास रहेगा। प्रत्येक बस की अनुमानित लागत लगभग 10 करोड़ रुपये होगी और 12 वर्षों के अनुबंध के आधार पर ये सेवाएं चलाई जाएंगी।
सरकारी बयान के अनुसार प्रारंभिक चरण में हर रूट पर एक-एक बस दी जाएगी और आगे की संख्या का विस्तार पायलट प्रोजेक्ट की सफलता और टेंडर प्रक्रिया के अनुभवों के आधार पर तय होगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह निजी ऑपरेटरों को सीधे वित्तीय सब्सिडी नहीं देगी। राज्य का फोकस चार्जिंग नेटवर्क और नियामकीय ढांचे को मजबूत बनाने पर होगा, ताकि निजी निवेशक इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित हो सकें।
ई-बस योजना के साथ-साथ बैठक में कई अन्य प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी गई। इनमें सबसे प्रमुख है उत्तर प्रदेश आउटसोर्सिंग सर्विस कॉर्पोरेशन का गठन, जिसका उद्देश्य आउटसोर्स कर्मचारियों को शोषण से बचाना और उनकी सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। सरकार का मानना है कि इस कदम से न केवल कर्मचारियों को स्थिरता मिलेगी, बल्कि कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी।
नगर विकास योजनाओं से संबंधित प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। सरकार ने जिला स्तर पर स्मार्ट सिटी की तर्ज पर नागरिक सेवाओं, ईवी चार्जिंग नेटवर्क, तालाबों के पुनरुद्धार, सामुदायिक केंद्रों और डिजिटल सेवाओं के विकास को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। इसके लिए 4 से 10 करोड़ रुपये तक की अनुदान राशि पहले से प्रस्तावित है और अब कैबिनेट ने इसे आगे बढ़ाने की दिशा में ठोस निर्णय लिया है।
इसके अतिरिक्त, लखनऊ-कानपुर मार्ग पर 200 ई-बसों और अन्य शहरों के लिए 650 ई-बसों के संचालन से संबंधित योजना पर भी नीति-समर्थन दिया गया है। यह प्रस्ताव भविष्य में बड़े पैमाने पर शहरी परिवहन को नया स्वरूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
बैठक में व्यापारियों, निर्यातकों और निवेशकों से संबंधित कुछ प्रशासनिक बदलावों को भी स्वीकृति दी गई, जिनका उद्देश्य निवेश माहौल को सुगम बनाना और जनसाधारण के हितों में पारदर्शिता बढ़ाना है। वहीं, शंभल हिंसा मामले में न्यायिक आयोग की रिपोर्ट भी कैबिनेट के समक्ष रखी गई, जिस पर आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को सक्रिय किया जाएगा।
हालांकि मीडिया कवरेज में सभी 16 प्रस्तावों का विस्तृत विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन ई-बस नीति, आउटसोर्सिंग कॉर्पोरेशन और नगर विकास पहलों को सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों के तौर पर सामने रखा गया है।
इन फैसलों का तात्कालिक असर सीधे जनता पर पड़ेगा। ई-बस योजना से जहां लखनऊ और कानपुर में प्रदूषण घटाने और यातायात को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी, वहीं निजी ऑपरेटर मॉडल से सरकार पर आर्थिक बोझ भी कम होगा। हालांकि किराया निर्धारण और संचालन की गुणवत्ता पर निगरानी रखना एक बड़ी चुनौती होगी।
चार्जिंग नेटवर्क और बिजली आपूर्ति की स्थिरता इस योजना की सफलता की रीढ़ होगी। यदि सरकार वाकई मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करती है तो निजी क्षेत्र को भरोसा मिलेगा और ई-मोबिलिटी को गति मिलेगी।
दूसरी ओर, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नया कॉर्पोरेशन एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह संस्था किस रूपरेखा में काम करेगी और इसके अधिकार क्या होंगे, यह आने वाले समय में साफ होगा।
कुल मिलाकर, कैबिनेट की यह बैठक उत्तर प्रदेश के शहरी परिवहन और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में कई नए संकेत देती है। ई-मोबिलिटी, आउटसोर्सिंग सुरक्षा और नगर विकास जैसे मुद्दों पर लिए गए फैसले आने वाले वर्षों में प्रदेश की विकास गति को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।
लखनऊ: योगी कैबिनेट की अहम बैठक, 15 प्रस्तावों को मिली मंजूरी, ई-बस सेवा का रास्ता साफ

मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में लखनऊ में हुई कैबिनेट बैठक में 15 प्रस्तावों को मंजूरी मिली, जिसमें लखनऊ और कानपुर में ई-बस संचालन की योजना शामिल है।
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