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लखनऊ: बाढ़ को लेकर अखिलेश यादव का सरकार पर तीखा वार, जनता त्रस्त और सरकार मस्त

लखनऊ: बाढ़ को लेकर अखिलेश यादव का सरकार पर तीखा वार, जनता त्रस्त और सरकार मस्त

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी में बाढ़ को लेकर भाजपा सरकार को घेरा, कुप्रबंधन का आरोप लगाया।

लखनऊ/प्रयागराज/वाराणसी: उत्तर प्रदेश में जारी भीषण बाढ़ संकट को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सरकार को आपदा प्रबंधन में पूर्णतः विफल बताते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जनहित के बजाय निजी स्वार्थ और प्रचार-प्रसार में व्यस्त है, जबकि हजारों लोग जलभराव, मकान ढहने और फसलों के नुकसान से जूझ रहे हैं।

प्रेस को जारी अपने बयान में अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में हालात विस्फोटक होते जा रहे हैं। विशेष रूप से प्रयागराज, वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, बहराइच और बाराबंकी जैसे जिलों में बाढ़ का पानी लोगों के घरों और खेतों में घुस चुका है। गांवों के संपर्क मार्ग कट गए हैं, स्कूलों में पानी भर गया है, और लाखों की आबादी बुनियादी ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने समय रहते न तो तटबंधों की मरम्मत कराई और न ही बाढ़ संभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री की पहले से व्यवस्था की। कई जगहों पर नावें उपलब्ध नहीं हैं, राशन नहीं पहुंच पाया है, और पीने के पानी की व्यवस्था नाकाफी है। "भाजपा सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उसे जनता की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है," अखिलेश ने कहा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने जलभराव की स्थिति को लेकर खास तौर पर प्रयागराज और लखनऊ जैसे स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े शहरों को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में बीते वर्षों में 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकास कार्य किए गए, लेकिन आज हालत यह है कि मामूली बारिश में सड़कों पर नावें चलाने की नौबत आ जाती है। "यह किस प्रकार की स्मार्ट सिटी है जहां नाले खुले हैं, ड्रेनेज सिस्टम फेल है और लोग नालों में गिरकर अपनी जान गंवा रहे हैं?" अखिलेश ने सवाल उठाया।

उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार ने स्मार्ट सिटी के नाम पर सिर्फ बजट की बंदरबांट की है। “हर विभाग में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार व्याप्त है। जनता की गाढ़ी कमाई को विकास के नाम पर डुबोया जा रहा है। लखनऊ, कानपुर, आगरा, गोरखपुर जैसे प्रमुख शहरों में विकास के नाम पर खोदे गए गड्ढे अब लोगों की जान के दुश्मन बन चुके हैं। बारिश में इन गड्ढों में पानी भरकर हादसे आम हो गए हैं।"

सपा प्रमुख ने किसानों की दुर्दशा का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बाढ़ से सबसे ज़्यादा नुकसान गरीब किसानों को हुआ है। धान और सब्जी की फसलें बर्बाद हो गईं हैं, परंतु सरकार ने अभी तक किसानों के मुआवज़े या बीमा की कोई ठोस घोषणा नहीं की है। कई इलाकों में पशुओं के चारे की भारी कमी है और बीमारियों का प्रकोप फैलने लगा है। “ऐसे समय में जब सरकार को 24 घंटे काम कर लोगों की मदद करनी चाहिए, भाजपा नेता सोशल मीडिया पर अपनी वाहवाही लूटने और एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं,” अखिलेश ने कहा।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "भाजपा की नाव चुनाव के समय तो गांव-गांव पहुंचती है, लेकिन अब जब घरों में पानी भरा है तो उनकी नावें और नेता दोनों लापता हैं।" उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार तत्काल राहत कार्यों को युद्धस्तर पर शुरू करे, ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल टीमें भेजी जाएं, पशुओं के लिए अस्थाई शरणस्थल बनाए जाएं और बाढ़ प्रभावितों के लिए मुआवजे की व्यवस्था पारदर्शी तरीके से की जाए।

समाजवादी पार्टी ने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि बाढ़ की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए, जो यह सुनिश्चित करे कि राहत सामग्री जरूरतमंदों तक पहुंचे और भ्रष्टाचार पर रोक लगे। साथ ही, पार्टी के कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बाढ़ पीड़ितों की हरसंभव मदद करें।

उत्तर प्रदेश के मौजूदा हालात को देखते हुए यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार को अब केवल घोषणाओं से नहीं, ज़मीन पर उतर कर काम करने की आवश्यकता है। क्योंकि अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा न रहकर मानव निर्मित संकट बन जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी से सरकार बच नहीं सकेगी।

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