अमेरिकी टैरिफ से यूपी का निर्यात प्रभावित, अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अमेरिकी टैरिफ से उत्तर प्रदेश के निर्यात पर गंभीर असर की चिंता जताई है।

Wed, 27 Aug 2025 21:56:01 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अमेरिकी टैरिफ के असर को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि इसने उत्तर प्रदेश के निर्यात क्षेत्र को गहरा आघात पहुंचाया है। उन्होंने प्रतिशोधात्मक टैरिफ को केंद्र की भाजपा सरकार की नीतिगत विफलता बताते हुए कहा कि इसका सबसे बड़ा नुकसान प्रदेश के निर्यातकों, उनसे जुड़े कारोबारों, कारीगरों और उनके परिवारों को उठाना पड़ेगा।

अखिलेश यादव ने निर्यातकों को संबोधित करते हुए लिखे गए एक पत्र में साफ कहा कि वर्तमान स्थिति बेहद गंभीर है। उनके मुताबिक, उत्तर प्रदेश के निर्यातक आज ' तबाही के कगार' पर खड़े हैं। ऐसे समय में सरकार को आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए और विशेष रूप से वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) के तहत आने वाले उत्पादों को राहत पैकेज देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य निर्यात आधारित उत्पादों को भी सुरक्षा और सहायता प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है।

सपा अध्यक्ष ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए तो लाखों निर्यातकों का कारोबार ठप हो सकता है। इसका सीधा असर करोड़ों लोगों की आजीविका पर पड़ेगा और प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या और भयावह रूप ले लेगी। उन्होंने कहा कि निर्यात और उद्योग क्षेत्र किसी भी प्रदेश की आर्थिक रीढ़ होते हैं और अगर इन्हें संरक्षण नहीं मिलेगा तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर गहरा संकट आ जाएगा।

अखिलेश यादव ने निर्यातकों से एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "यह समय हर भेदभाव को भुलाकर एकजुट होने का है। भाजपा सरकार हर मौके पर दबाव बनाकर चंदा वसूलती है, लेकिन अब निर्यातकों को मजबूती से अपनी मांगें सरकार के सामने रखनी होंगी। हम आपके साथ खड़े हैं, क्योंकि यह लाखों परिवारों के जीवनयापन और भविष्य का सवाल है।"

अखिलेश का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी टैरिफ से भारत के कई निर्यात उत्पादों पर असर पड़ा है, और उत्तर प्रदेश, जो हस्तशिल्प, कालीन, पीतल उद्योग, चमड़ा व अन्य कुटीर उद्योगों का बड़ा केंद्र है, वहां की स्थिति और गंभीर मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द राहत नहीं दी गई तो पारंपरिक उद्योगों के साथ ही प्रदेश के छोटे और मझोले कारोबार भी लंबे समय तक इस संकट से जूझ सकते हैं।

इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है कि क्या भाजपा सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगी, या फिर विपक्ष इस मसले को और जोर-शोर से जनता के बीच लेकर जाएगा।

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