Sun, 22 Jun 2025 16:47:00 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नई दिल्ली/तेहरान/वाशिंगटन/जेरूसलम – वैश्विक कूटनीति के लिए रविवार की सुबह एक चौंकाने वाली और बेहद गंभीर घटना लेकर आई, जब अमेरिका ने भारतीय समयानुसार सुबह 4:30 बजे ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर सैन्य हमला किया। इस कार्रवाई ने पहले से ही तनावग्रस्त मध्य-पूर्व में स्थिति को और विस्फोटक बना दिया है। अमेरिकी प्रशासन ने इस हमले को "सटीक और निर्णायक" करार दिया है, जबकि ईरान ने इसे "युद्ध की कार्रवाई" बताते हुए इजराइल पर जवाबी हमला कर दिया।
हमले के तीन घंटे बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश को संबोधित किया और कहा कि ईरान की रणनीतिक रूप से अहम न्यूक्लियर साइट्स को पूरी तरह “obliterate” यानी तबाह कर दिया गया है। उनके अनुसार, विशेष रूप से फोर्डो केंद्र पर बमों की भारी खेप गिराई गई। ट्रम्प ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “अब ईरान को शांति की राह अपनानी चाहिए, अन्यथा इससे भी बड़े हमलों के लिए तैयार रहना होगा।”
अमेरिकी कार्रवाई के जवाब में ईरान ने भी त्वरित प्रतिक्रिया दी। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने दावा किया कि उन्होंने इजराइल पर अब तक का सबसे बड़ा मिसाइल हमला किया है। ईरान की ओर से बताया गया कि 14 प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया। ‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ के अनुसार, हाइफा और तेल अवीव के सैन्य और रिहायशी क्षेत्रों पर मिसाइलें दागी गईं, जिनसे अब तक 86 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इजराइली सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी गई है।
इस सैन्य टकराव के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार भी सक्रिय हुई। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने रविवार दोपहर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच लगभग 45 मिनट तक गहन बातचीत हुई। इस चर्चा की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की।
प्रधानमंत्री ने लिखा, “मैंने ईरान के राष्ट्रपति से बात की। हमने मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की और तनाव बढ़ने को लेकर गहरी चिंता जताई। मैंने तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देने की अपील की और क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता की शीघ्र बहाली की जरूरत पर जोर दिया।”
भारत पहले भी इस क्षेत्रीय संकट में संयम और संवाद का समर्थन करता रहा है। विदेश मंत्रालय की ओर से भी कहा गया है कि भारत सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और स्थिति को बिगड़ने से रोकने की अपील करता है। कूटनीतिक हल तलाशने और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है।
गौरतलब है कि फोर्डो, नतांज और इस्फहान ईरान की सबसे संवेदनशील और संरक्षित परमाणु साइट्स मानी जाती हैं। इनमें से फोर्डो भूमिगत सुविधा के रूप में जानी जाती है, जहां यूरेनियम संवर्धन का कार्य होता है। इन स्थलों पर हमला न केवल ईरान की सामरिक क्षमता को सीधी चुनौती देता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर परमाणु असंतुलन की चिंताओं को भी गहरा कर सकता है।
इस घटनाक्रम ने संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी सक्रिय कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दोनों पक्षों से तत्काल युद्धविराम और वार्ता की मेज पर लौटने की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संघर्ष अनियंत्रित होता है, तो यह पूरी दुनिया के लिए ऊर्जा संकट, शरणार्थी संकट और वैश्विक सुरक्षा पर खतरा बन सकता है।
अब पूरी दुनिया की निगाहें मध्य-पूर्व पर टिकी हैं। क्या अमेरिका और ईरान इस टकराव को और गहराएंगे या फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते बातचीत की राह अपनाएंगे, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि हालिया घटनाएं वैश्विक शांति व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभरी हैं।