वृंदावन: एएसपी अनुज चौधरी ने प्रेमानंद महाराज से की भेंट, कानून और नैतिकता पर हुई गहन चर्चा

संभल के एएसपी अनुज चौधरी ने वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात कर पुलिस व्यवस्था, न्याय और धर्म के सिद्धांतों पर गहरा संवाद किया।

Sun, 10 Aug 2025 22:58:07 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वृंदावन/मथुरा: हाल ही में संभल के एएसपी पद पर पदोन्नत हुए अनुज चौधरी रविवार को आध्यात्मिक नगरी वृंदावन पहुंचे, जहां उन्होंने प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से शिष्टाचार भेंट की। शांत वातावरण, मंदिर की घंटियों की गूंज और श्रद्धालुओं की मधुर भक्ति-धुनों के बीच यह मुलाकात केवल औपचारिकता भर नहीं रही, बल्कि कानून, नैतिकता और समाज की संवेदनाओं पर एक गहन संवाद का रूप ले ली।

मुलाकात के दौरान एएसपी अनुज चौधरी ने पुलिस व्यवस्था पर उठने वाले सवालों और उनके वास्तविक स्वरूप पर खुलकर बात की। उन्होंने स्वीकार किया कि कभी-कभी पुलिस पर ऐसे आरोप लग जाते हैं, जिन्हें सुनना पीड़ादायक होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब कोई वादी मुकदमा दर्ज कराता है, लेकिन साक्ष्यों के अभाव में आरोपी का दोष साबित नहीं हो पाता, तो वादी अक्सर पुलिस को ही दोषी ठहराने लगता है। इससे पुलिसकर्मियों को अनावश्यक आलोचना और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है।

इस पर संत प्रेमानंद महाराज ने अपने सहज किन्तु गूढ़ शब्दों में उत्तर दिया- “यदि कोई अपराधी है और अभी तक कानून की पकड़ से बाहर है, तो भी वह अपने कर्मों का फल अवश्य भोगेगा। न्याय का चक्र भले धीमा हो, परंतु अटल है।” उन्होंने एएसपी को समझाया कि नियमों के अनुरूप निष्पक्ष कार्रवाई करना न केवल पुलिस की जिम्मेदारी है, बल्कि यह धर्म के मार्ग पर चलने के समान है। लेकिन यदि किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए या दबाव में आकर निर्णय लिया जाए, तो वह कर्म पाप की श्रेणी में आता है।

चर्चा केवल अपराध और कानून तक सीमित नहीं रही। समाज में नैतिक मूल्यों के क्षरण, युवाओं में बढ़ती आपराधिक प्रवृत्ति, और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में पारदर्शिता जैसे विषयों पर भी दोनों के बीच विचारों का आदान-प्रदान हुआ। संत ने युवाओं में सकारात्मक सोच, संयम और नैतिक शिक्षा के प्रसार पर जोर दिया, वहीं एएसपी ने आश्वासन दिया कि पुलिस समाज में सुरक्षा और विश्वास कायम रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

वृंदावन की इस अनूठी मुलाकात ने यह संदेश दिया कि कानून और आस्था, दोनों मिलकर समाज को बेहतर दिशा दे सकते हैं।एक पक्ष व्यवस्था को सुदृढ़ करता है, तो दूसरा नैतिकता की नींव को मजबूत। यह संवाद न केवल दो व्यक्तियों के बीच की बातचीत था, बल्कि समाज को यह स्मरण कराने वाला क्षण भी था कि न्याय और धर्म, दोनों एक ही पथ के सहयात्री हैं।

मशहूर गायक आतिफ असलम के पिता मोहम्मद असलम का निधन, संगीत जगत में शोक

जौनपुर: शाहगंज मार्ग पर बस-ट्रक की भीषण टक्कर में पांच की मौत, कई घायल

औरैया: रक्षाबंधन की रात नाबालिग बहन की हत्या का सनसनीखेज खुलासा, चचेरा भाई गिरफ्तार

लखनऊ: सीएम योगी ने सरकारी आवास से शुरू की तिरंगा यात्रा, डिप्टी सीएम और बच्चे भी हुए शामिल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सुशील कुमार की जमानत रद्द की, एक हफ्ते में आत्मसमर्पण का दिया आदेश