Mon, 11 Aug 2025 13:26:04 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
आज़मगढ़: समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित और निजी प्रबंधतंत्र से संचालित विद्यालयों में अवैध नियुक्तियों का मामला सामने आया है। विस्तृत जांच में पता चला कि वर्ष 2014 से अब तक 25 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति बिना आवश्यक अनुमोदन के की गई थी। यह नियुक्तियां उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल नियमावली 1975 के प्रावधानों के तहत अनिवार्य जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की स्वीकृति के बिना की गईं, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है।
शासन के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच समिति, जिसकी अध्यक्षता अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) कर रहे थे, ने 25 अप्रैल 2025 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि नियुक्तियों का कोई भी अनुमोदन पत्र जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के डिस्पैच रजिस्टर में दर्ज नहीं है, जिससे यह साबित हो गया कि प्रक्रिया पूर्ण रूप से नियमविरुद्ध थी।
जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास) आशीष कुमार सिंह ने कोतवाली में तहरीर दी। तहरीर के अनुसार, जनता प्राथमिक विद्यालय बासथान जमीलपुर के तत्कालीन प्रबंधक कमलेश सिंह सहित कुल 26 व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें धर्मेन्द्र सिंह, रामप्रवेश यादव, रामजियावन राम, सौरभ सिंह, पूनम सिंह, प्रशांत कुमार पाठक, ज्ञानचंद राहुल, प्रशांत गोड़, मधुलिका सिंह, शिवकुमार, विनीता सिंह, सुनील दत्त, नीतू यादव, रमाकांत यादव, विरेंद्र उपाध्याय, चंद्रप्रकाश द्विवेदी, नीलम यादव, शशि किरन, अनिता यादव, अनिता कुमारी, आशुतोष राय, राकेश कुमार सिंह, रामप्रीत राजभर, वरुण सिंह और रजनीकांत राय शामिल हैं।
पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। मामला सामने आने के बाद शिक्षा और समाज कल्याण विभाग के भीतर भी हलचल मच गई है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की अवैध नियुक्तियां न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हैं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को भी प्रभावित करती हैं।
जिला समाज कल्याण अधिकारी आशीष कुमार सिंह ने बताया, "जांच में यह साबित हो चुका है कि नियुक्तियां फर्जी हैं और इनमें नियमानुसार किसी भी स्तर पर अनुमोदन नहीं लिया गया। इसलिए नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जा रही है।"
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस अब इस मामले में संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है और संभव है कि आने वाले दिनों में कई और खुलासे हों। यह मामला जिले में शिक्षा विभाग और निजी विद्यालय प्रबंधन पर निगरानी को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।