Sun, 28 Dec 2025 11:30:46 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नेपाल/काठमांडू: हिमालयी राष्ट्र नेपाल की राजनीति में रविवार को एक नए युग का सूत्रपात हुआ है, जिसने पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। काठमांडू महानगरपालिका के बेहद लोकप्रिय मेयर बलेंद्र शाह, जिन्हें जनता प्यार से 'बालेन' के नाम से जानती है, अब आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। आगामी 5 मार्च को होने वाले नेपाल के आम चुनावों के मद्देनजर, बालेन शाह और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने एक संयुक्त मोर्चे के तहत चुनाव लड़ने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह घटनाक्रम न केवल नेपाल के युवाओं के लिए बल्कि दक्षिण एशियाई राजनीति पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों के लिए भी एक चौंकाने वाला और महत्वपूर्ण मोड़ है।
शनिवार की रात काठमांडू में राजनीतिक गहमागहमी अपने चरम पर थी। बंद कमरों में रात भर चली मैराथन बैठकों और गहन विचार-विमर्श के बाद, दोनों पक्षों ने रविवार सुबह एक सात-सूत्रीय समझौते को अंतिम रूप दिया। इस रणनीतिक समझौते के तहत, 35 वर्षीय बालेन शाह को संसदीय दल का नेता नामित किया गया है, जो उन्हें गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद का सीधा दावेदार बनाता है। वहीं, नेपाल की राजनीति में अपनी धाक जमा चुकी और भंग हो चुकी प्रतिनिधि सभा में चौथी सबसे बड़ी ताकत रही आरएसपी की कमान रबी लामिछाने के पास ही रहेगी। वह पार्टी अध्यक्ष के रूप में संगठन को मजबूती प्रदान करेंगे। समझौते की सबसे अहम बात यह है कि बालेन और उनका पूरा समूह आरएसपी के सुस्थापित चुनाव चिन्ह 'घंटी' पर ही चुनाव लड़ेगा। बालेन ने अपनी टीम का आरएसपी में विलय करने पर सहमति जताई है, जिससे पार्टी का नाम, झंडा और चुनाव चिन्ह अपरिवर्तित रहेगा, जो यह दर्शाता है कि यह गठबंधन पहचान के संघर्ष से ऊपर उठकर एक ठोस उद्देश्य के लिए बनाया गया है।
समझौते के बाद का माहौल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से परे राष्ट्रहित की भावना से ओत-प्रोत दिखाई दिया। आरएसपी अध्यक्ष रबी लामिछाने ने रविवार सुबह एक विस्तृत फेसबुक पोस्ट के जरिए जनता को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि यह आम सहमति नेताओं की निजी कुर्सी की भूख मिटाने के लिए नहीं, बल्कि देश की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई है। समझौते के मूल में भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति है। दोनों नेताओं ने उस युवा आक्रोश और आंदोलन की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार की है, जिसने हाल ही में केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। यह गठबंधन विशेष रूप से 'जेनरेशन जेड' (Gen-Z) के उन प्रदर्शनकारियों की आवाज़ बनने का वादा करता है, जिन्होंने सितंबर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। समझौते में आंदोलन के दौरान घायल हुए लोगों की मांगों को प्राथमिकता से पूरा करने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की गई है, जो इसे केवल एक राजनीतिक सौदा नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का रूप देता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बालेन और रबी का यह मिलन नेपाल की राजनीति में एक 'टेक्टोनिक शिफ्ट' (बड़ा बदलाव) है। यह समझौता उन तमाम उभरती हुई युवा और वैकल्पिक राजनीतिक ताकतों को एकजुट करने की दिशा में एक 'मास्टरस्ट्रोक' माना जा रहा है। इस ऐलान के बाद अब सबकी निगाहें ऊर्जा और जल संसाधन मंत्री कुलमान घिसिंग पर टिकी हैं। घिसिंग के नेतृत्व वाली नवगठित 'उज्यालो नेपाल पार्टी' (यूएनपी) के साथ भी बालेन की एकता और सहयोग को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है।
यद्यपि यूएनपी ने अभी तक गठबंधन में शामिल होने को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन बालेन के प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने के बाद, उम्मीद की जा रही है कि घिसिंग भी इस युवा मोर्चे को मजबूती देने के लिए साथ आ सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो 5 मार्च का चुनाव नेपाल के इतिहास में सबसे निर्णायक चुनाव साबित होगा।