बलिया: बांसडीह सीएचसी में एचआईवी और टीबी मामलों में वृद्धि, प्रशासन अलर्ट

बलिया के बांसडीह सीएचसी में एचआईवी व टीबी के बढ़ते केसों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ाई।

Fri, 19 Dec 2025 13:43:50 - By : Savan kumar

बलिया जिले के बांसडीह स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने क्षेत्र में एचआईवी और टीबी की स्थिति को लेकर गंभीर और चिंताजनक तस्वीर सामने रखी है। चालू वर्ष में कराई गई व्यापक स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग के दौरान जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ स्थानीय प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार असुरक्षित यौन संबंध, प्रवासी मजदूरों के जरिये संक्रमण का प्रसार और नशे की लत से जुड़ी सिरिंज साझा करने की प्रवृत्ति इस क्षेत्र में एचआईवी संक्रमण के प्रमुख कारण बनकर उभर रही है।

सीएचसी बांसडीह ने अप्रैल से अब तक कुल 3217 लोगों का एचआईवी परीक्षण किया है। इन जांचों में 10 महिला पुरुष और एक ट्रांसजेंडर सहित कुल 11 लोग एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार यह संख्या भले ही देखने में कम लगे, लेकिन ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्र के लिहाज से इसे बेहद गंभीर संकेत माना जा रहा है। जांच के बाद की गई काउंसलिंग में यह सामने आया कि कई प्रवासी मजदूर बाहर के राज्यों में काम करने के दौरान संक्रमण का शिकार हुए और वापस लौटने के बाद अनजाने में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलने की स्थिति बनी। इसके साथ ही असुरक्षित यौन व्यवहार और नशे के आदी लोगों द्वारा एक ही सिरिंज के इस्तेमाल ने भी संक्रमण के खतरे को बढ़ाया है।

सीएचसी के वरिष्ठ परामर्शदाता राहुल सिंह ने बताया कि काउंसलिंग के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि अधिकतर संक्रमण व्यवहार से जुड़ी लापरवाही के कारण हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी आबादी और नशे से जुड़े समूहों पर विशेष ध्यान देते हुए जागरूकता अभियान चलाना बेहद जरूरी है। समय पर जांच, सही परामर्श और संक्रमितों को तुरंत एआरटी उपचार से जोड़ना ही एचआईवी के प्रसार को रोकने का प्रभावी तरीका है। स्वास्थ्य विभाग अब क्षेत्र में लक्षित जागरूकता कार्यक्रमों को तेज करने की तैयारी कर रहा है।

एचआईवी के साथ साथ क्षेत्र में टीबी की स्थिति भी चुनौती बनी हुई है। सीएचसी बांसडीह के डाट्स केंद्र पर इस वर्ष अब तक 5800 लोगों की टीबी जांच की गई है, जिनमें 180 मरीज टीबी से संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा अन्य अस्पतालों से रेफर होकर आए करीब 300 मरीजों का नियमित उपचार केंद्र पर चल रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि टीबी और एचआईवी दोनों बीमारियों के मामलों में समय पर पहचान और निरंतर इलाज बेहद जरूरी है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके और मरीजों को सामान्य जीवन की ओर लौटाया जा सके।

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