Sat, 30 Aug 2025 23:02:30 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
बलरामपुर: शिक्षा के अधिकार से जुड़ा एक ऐतिहासिक फैसला सामने आया है। बलरामपुर पब्लिक स्कूल की वह जमीन, जिस पर लगभग पांच दशक से अवैध कब्जा था, आखिरकार मुक्त करा ली गई। यह असंभव सा लगने वाला कार्य महज 15 दिनों में संभव हो पाया, और इसके पीछे बड़ा नाम है उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य सत्येंद्र बारी का, जिन्होंने जनचौपाल में उठाई गई शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पूरी ताक़त से इसे अंजाम तक पहुंचाया।
स्कूल प्रबंधन के अनुसार, बलरामपुर पब्लिक स्कूल की जमीन पर 40-50 वर्षों से कुछ दबंगों ने अवैध कब्जा कर रखा था। इसको लेकर वर्षों तक अधिकारियों और नेताओं के पास दौड़-भाग होती रही, लेकिन किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। शिक्षा का मंदिर लगातार विवाद की जकड़न में फंसा रहा। हालात ऐसे हो गए थे कि प्रबंधन और अभिभावक लगभग हार मान चुके थे।
इसी बीच, सत्येंद्र बारी की जनचौपाल में स्थानीय लोगों ने इस समस्या को दोबारा आवाज़ दी। उन्होंने न केवल पीड़ा को सुना बल्कि तुरंत ही अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर कार्रवाई का आदेश सुनिश्चित कराया। नतीजा यह हुआ कि जिस समस्या को 50 वर्षों में कोई सुलझा नहीं पाया, वह 15 दिनों में ही समाप्त हो गई।
हमारे संवाददाता से बात करते हुए सत्येंद्र बारी ने बताया कि शिक्षा समाज की धरोहर है, उस पर किसी तरह का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सरकार में किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों और अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है।
जमीन मुक्त होने के बाद स्कूल प्रशासन और विद्यार्थियों में उत्साह का माहौल है। प्रबंधन का कहना है कि अब वे बच्चों को सुरक्षित और बेहतर वातावरण दे पाएंगे। अभिभावकों ने भी राहत की सांस लेते हुए कहा कि यह फैसला केवल एक जमीन विवाद का अंत नहीं बल्कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने का भरोसा है।
जब हमारे संवाददाता ने वहां के स्थानीय नागरिकों से बात की तो उनलोगों का कहना है, कि सत्येंद्र बारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अगर नेतृत्व ईमानदारी और संकल्प के साथ आगे आए तो कोई भी समस्या असंभव नहीं रहती। उन्होंने जनता और प्रशासन के बीच सेतु का काम किया और वर्षों से अटकी समस्या को चुटकियों में सुलझा दिया।