बरेली में नकली दवाओं का बड़ा खुलासा, थोक विक्रेताओं पर शिकंजा, लाइसेंस निलंबित

बरेली में थोक विक्रेताओं द्वारा नकली दवाएं बेचने का खुलासा, ड्रग विभाग ने कई लाइसेंस निलंबित किए और जांच तेज कर दी।

Sun, 16 Nov 2025 12:11:13 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

बरेली: नकली दवाओं का जाल तेजी से फैलता दिखाई दे रहा है और दवा सुरक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जांच के दौरान यह सामने आया है कि जिले के कई थोक दवा विक्रेताओं ने आगरा स्थित बंसल मेडिकल एजेंसी और हे मां मेडिकल्स से भारी मात्रा में नकली दवाएं खरीदीं और उनकी बिक्री भी कर दी। प्रारंभिक पुष्टि के बाद ड्रग विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गुनिना फार्मास्युटिकल्स के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में वाद दायर किया है। वहीं, शास्त्री मार्केट स्थित लखनऊ ड्रग एजेंसी और माधव मेडिकल एजेंसी का लाइसेंस 30 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है, जबकि साहनी मेडिकल स्टोर का लाइसेंस सात दिनों के लिए रोक दिया गया है। इसके अलावा जिले की 19 अन्य फर्मों के खिलाफ जांच जारी है, जिससे अंदेशा है कि नेटवर्क और भी बड़ा हो सकता है।

औषधि निरीक्षक अनामिका जैन ने बताया कि गुनिना फार्मास्युटिकल्स ने विभागीय आदेशों की अवहेलना करते हुए बंसल मेडिकल एजेंसी को दवाएं वापस कर दी थीं। जब जांच में इस बात की पुष्टि हुई तो उनके खिलाफ कोर्ट में वाद दायर किया गया। दूसरी ओर, लखनऊ ड्रग एजेंसी के खिलाफ जांच कर रहे औषधि निरीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि एजेंसी ने आगरा की बंसल मेडिकल एजेंसी से बड़ी मात्रा में नकली दवाएं ली थीं और उनकी बिक्री दिखाने के लिए रिटेलरों के नाम से फर्जी बिल तैयार किए। जब विभाग ने इन बिलों के आधार पर रिटेलरों से संपर्क किया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने लखनऊ ड्रग एजेंसी से कोई दवा नहीं खरीदी। यह स्पष्ट हो गया कि दवाओं की सप्लाई और बिलिंग का बड़ा फर्जी नेटवर्क काम कर रहा था।

इसी तरह माधव मेडिकल एजेंसी पर भी आरोप हैं कि उसने एलेग्रा-120 सहित कई नकली दवाएं बाजार में खपाईं। साहनी मेडिकल स्टोर पर मिली नकली दवाएं भी आगरा की एजेंसियों और अन्य थोक विक्रेताओं से खरीदी गई थीं। विभाग का कहना है कि इन सभी मामलों में जुड़े तथ्यों और चेन सप्लाई की गहराई से जांच की जा रही है, जिससे जल्दी ही पूरे नेटवर्क की तस्वीर साफ हो सकती है।

इसी बीच, शास्त्री मार्केट से सितंबर माह में लिए गए 33 सर्वे सैंपल संबंधित कंपनियों को भेजे गए हैं और उनकी गुणवत्ता रिपोर्ट का इंतजार है। इसके अलावा नौ सैंपल लखनऊ की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। सहायक आयुक्त औषधि संदीप कुमार ने बताया कि इन सभी नमूनों की रिपोर्ट अभी लंबित है। वहीं, हैप्पी मेडिकोज से पूर्व में जब्त 6.30 लाख रुपये की दवाओं पर भी अंतिम निर्णय होना बाकी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पूरे जिले में नकली दवा वितरण का मामला और भी गंभीर हो सकता है।

औषधि निरीक्षक अनामिका जैन ने बताया कि गुनिना फार्मास्युटिकल्स से बरामद दवाओं में एलेग्रा-120, कायमोरल फोर्ट, एंटीबायोटिक, एंटी-डायबिटिक और एंटी-एलर्जिक दवाएं शामिल हैं। इनमें सिक्किम स्थित सनोफी कंपनी के नाम से बेची जा रही एलेग्रा-120 की 2600 गोलियां मिली थीं, जिनका बैच नंबर 5-NG001 बताया गया है। इसके अलावा एबॉट कंपनी की यूडीलिव टेबलेट, सिपला और अन्य कंपनियों की अटैरक्स, जैनुमेट, जालरा आदि दवाएं भी बरामद की गई हैं, जिनकी विस्तृत जांच जारी है। यह सभी दवाएं प्रचलित बीमारियों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती हैं, जिससे इनके नकली होने का खतरा और भी चिंताजनक है।

सहायक आयुक्त औषधि ने यह भी खुलासा किया कि दवा माफिया ने ब्रांडेड कंपनियों के सुरक्षा फीचर में सेंधमारी की है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि कई दवाओं पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से नकली क्यूआर कोड तैयार किए गए थे। आशंका है कि एक ही बैच नंबर के नाम पर एंटी एलर्जिक, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, एंटीबायोटिक और खांसी की दवाएं बाजार में उतारी गईं। विभाग ने आश्वासन दिया है कि नकली दवाओं की खरीद-बिक्री में शामिल हर थोक विक्रेता और नेटवर्क तक पहुंचकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जिले में चल रही यह जांच दवा सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है और साथ ही यह भी दिखाती है कि आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले गिरोह किस तरह संगठित रूप से सक्रिय हैं। विभाग की सख्ती और आगे होने वाली कार्रवाई पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं।

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