Fri, 17 Oct 2025 11:07:43 - By : Yash Agrawal
वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में देश के प्रमुख ज्योतिषाचार्यों ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब देश में त्योहारों की तिथियों को लेकर चल रहे भ्रम और विवाद को खत्म करने की दिशा में काम शुरू हो गया है। BHU में आयोजित एक सेमिनार के दौरान भारत और विदेशों से आए 200 से अधिक ज्योतिषाचार्यों ने सर्वसम्मति से इस बात पर सहमति जताई कि भविष्य में एक देश, एक तिथि और एक पंचांग की अवधारणा पर काम किया जाएगा।
यह सेमिनार 14 अक्टूबर को आयोजित हुआ, जिसकी मेजबानी इंदौर के मां शारदा ज्योतिषधाम अनुसंधान संस्थान ने की। इसमें भारत के 15 राज्यों के अलावा नेपाल, सिंगापुर और दुबई से भी प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य यह था कि देशभर में एक समान तिथि पर त्योहार मनाने की व्यवस्था बनाई जा सके ताकि आम जनता में भ्रम की स्थिति समाप्त हो।
सेमिनार के दौरान BHU के शोधार्थियों ने 200 ज्योतिषाचार्यों के बीच एक सर्वे किया जिसमें दो मुख्य सवाल पूछे गए। पहला, क्या पूरे देश में एक समान तिथि और पंचांग लागू किया जा सकता है? दूसरा, क्या चंद्र कैलेंडर और पंचांगों में होने वाले अंतर को खत्म किया जा सकता है? इस सर्वे का परिणाम चौंकाने वाला रहा। करीब 95 प्रतिशत ज्योतिषाचार्यों ने इस विचार का समर्थन किया और कहा कि वे सूर्य सिद्धांत पर आधारित पंचांग तैयार करने के लिए साथ काम करेंगे।
ज्योतिषाचार्यों ने निर्णय लिया कि वर्ष 2026-27 का पंचांग सूर्य सिद्धांत के आधार पर तैयार किया जाएगा। इसके बाद त्योहारों की एकीकृत तिथियों की सूची राज्य और केंद्र सरकार को भेजी जाएगी ताकि सरकारी छुट्टियां भी उसी आधार पर निर्धारित की जा सकें। यह प्रस्ताव अगर लागू होता है, तो आने वाले वर्षों में देशभर में एक ही दिन होली, दिवाली, जन्माष्टमी और अन्य प्रमुख पर्व मनाए जा सकेंगे।
हालांकि, करीब 5 प्रतिशत ज्योतिषियों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि भारत जैसे विशाल देश में सूर्योदय और सूर्यास्त का समय हर स्थान पर भिन्न होता है, इसलिए एक समान तिथि निर्धारित करना व्यावहारिक रूप से कठिन है। फिर भी ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि सूर्य सिद्धांत जैसी वैज्ञानिक पद्धति अपनाने से इन असमानताओं को कम किया जा सकता है।
BHU के शोधार्थी अमित कुमार मिश्रा ने बताया कि विश्वविद्यालय में अब इस दिशा में तकनीकी रूप से कार्य शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर व्रत और पर्व सही तिथि और समय पर नहीं रखे जाते, तो उनके आध्यात्मिक फल भी प्रभावित होते हैं। इसलिए सूर्य सिद्धांत के अनुसार सटीक तिथि निकालना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि BHU में रिसर्च टीम एक विशेष सॉफ्टवेयर और वेबसाइट विकसित कर रही है, जिसका नाम surya-siddhant.in रखा गया है। इस वेबसाइट के माध्यम से सभी राज्यों को एक समान तिथियों की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि पूरे देश में त्योहारों का निर्धारण एकरूपता के साथ हो सके।
अमित मिश्रा के अनुसार, इस प्रणाली से न केवल धार्मिक एकता बढ़ेगी, बल्कि समाज में भ्रम भी समाप्त होगा। अब तक कई बार एक ही त्योहार को अलग-अलग दिनों पर मनाया जाता था, जिससे लोगों में उलझन पैदा होती थी। अगर वन नेशन-वन डेट पॉलिसी लागू होती है, तो यह भारत की सांस्कृतिक एकता को एक नई दिशा देगा।
यह पहल ज्योतिषीय परंपरा में एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही है, जो प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने का प्रयास है। BHU का यह प्रयास आने वाले समय में देश के धार्मिक और सामाजिक कैलेंडर को एकरूप बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।