Tue, 16 Sep 2025 13:18:55 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सोमवार को उस समय हड़कंप मच गया जब पीजी कक्षाओं में दाखिला लेकर पढ़ाई कर रहे 19 छात्रों को अचानक प्रवेश निरस्त करने का नोटिस थमा दिया गया। इन विद्यार्थियों ने न केवल कुछ दिन की कक्षाएं अटेंड कर ली थीं बल्कि नियमित पढ़ाई में भी शामिल थे। नोटिस मिलने के बाद छात्रों में निराशा और गुस्सा दोनों साफ झलक रहा था।
यह पूरा मामला जूलॉजी और बॉटनी विभाग से जुड़ा है। नियमों के अनुसार एमएससी जूलॉजी और बॉटनी में प्रवेश के लिए स्नातक पाठ्यक्रम में कम से कम दो साल यानी चार पेपर की केमिस्ट्री पढ़ी होना जरूरी है। शुरुआती चरण में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान यह शर्त लागू होने के बावजूद छात्रों को दाखिला दे दिया गया। अब विभाग का कहना है कि संबंधित 19 छात्रों ने स्नातक में यह अनिवार्य योग्यता पूरी नहीं की, इसलिए उनका प्रवेश निरस्त किया जा रहा है। बॉटनी में सात और जूलॉजी में तेरह विद्यार्थियों पर यह कार्रवाई की गई है।
नोटिस मिलने के बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा और वे सीधे केंद्रीय कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने अकादमिक अनुभाग, कुलसचिव और कुलपति कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। विद्यार्थियों का कहना था कि अगर वे पात्रता की शर्त पूरी नहीं करते थे तो उन्हें शुरू में ही दाखिले से रोक दिया जाना चाहिए था। उनके अनुसार, कक्षाएं शुरू होने और पढ़ाई में शामिल होने के बाद प्रवेश रद्द करना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
बॉटनी विभाग के तीन छात्रों का मामला हालांकि अलग है। एमएससी में प्रवेश लेने के बाद उनके बीएससी के परिणाम घोषित हुए जिनमें वे असफल हो गए। ऐसे मामलों में प्रवेश रद्द होना स्वाभाविक माना जा रहा है। बाकी 16 विद्यार्थियों के प्रकरण की जांच के लिए विभागों को निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल अंतिम निर्णय जांच रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा।
मामले को गंभीर मानते हुए छात्र नेता मृत्युंजय कुमार तिवारी ने भी कुलपति को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। छात्रों का तर्क है कि अगर विभाग और प्रवेश समिति ने शुरू में ही उनके कागजात को सही तरीके से परखा होता तो आज उन्हें इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्रों की यह नाराजगी साफ झलक रही है कि प्रवेश प्रक्रिया में लापरवाही से अब उनके करियर पर संकट खड़ा हो गया है।