वाराणसी : बीएचयू अस्पताल में एमआरआई और अल्ट्रासाउंड मशीन खरीद टेंडर में घोटाला, टेंडर रद्द - पांच पर मुकदमा

बीएचयू के सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में एमआरआई और अल्ट्रासाउंड मशीनों की खरीद में फर्जी जीएसटी नंबर के इस्तेमाल के कारण टेंडर को रद्द करते हुए पांच पर मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसकी जांच शिक्षा मंत्रालय और बीएचयू प्रशासन की टीम कर रही है।

Thu, 12 Jun 2025 13:11:29 - By : Aakash Tiwari (Mridul)

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में एमआरआई और अल्ट्रासाउंड मशीनों की खरीद से जुड़ा टेंडर घोटाला सामने आया है। शिक्षा मंत्रालय की विजिलेंस टीम और विश्वविद्यालय के कुलपति के निर्देश पर गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए बीएचयू प्रशासन ने संबंधित टेंडर को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार, सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक के लिए एमआरआई मशीन पहले ही आ चुकी थी, लेकिन इस टेंडर प्रक्रिया में जिस फर्म के माध्यम से उपकरण मंगाए गए, उसने फर्जी जीएसटी नंबर का इस्तेमाल किया था। इस अनियमितता की शिकायत बीएचयू प्रशासन को मिली थी, जिसके बाद 10 मार्च को इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंस के प्रोफेसर आर. के. लोधवाल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया। इस समिति ने करीब दो महीने की विस्तृत जांच के बाद 31 मई को अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय के कुलपति को सौंप दी।

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं की बात कही गई है। जांच समिति के निष्कर्षों के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने टेंडर को रद्द कर दिया है। बीएचयू अस्पताल के निदेशक प्रो. एस. एन. संखवार ने बताया कि एमआरआई और अल्ट्रासाउंड मशीनों की खरीद प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया, इसलिए इसे शून्य घोषित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अब नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

घोटाले के संबंध में 20 मार्च को लंका थाना में पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें बीएचयू अस्पताल के मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट प्रो. कैलाश कुमार, रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. ए. एन. डी. द्विवेदी और उप कुलसचिव रश्मि रंजन समेत अन्य अधिकारियों के नाम शामिल हैं। लंका पुलिस की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी ने सभी कागजातों की विधिवत जांच की है और मामले की कानूनी प्रक्रिया जारी है। बीएचयू प्रशासन और विजिलेंस टीम की सक्रियता के चलते यह गंभीर घोटाला समय रहते उजागर हो गया। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि बीएचयू जैसी प्रतिष्ठित संस्था में इस प्रकार की अनियमितताएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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