Fri, 05 Sep 2025 10:33:04 - By : Garima Mishra
वाराणसी : वाराणसीस्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल में अब लिवर और पित्त मार्ग के कैंसर की सर्जरी वाटर जेट सिस्टम से की जा रही है। इस नई तकनीक ने न केवल ऑपरेशन की जटिलताओं को कम किया है बल्कि मरीजों को बेहतर परिणाम देने का रास्ता भी खोला है। पहले यहां सर्जरी क्यूसा मशीन से होती थी, लेकिन अब जर्मनी की ईआरबीई कंपनी के वाटर जेट सिस्टम की मदद से कैंसर के मामलों का इलाज और अधिक सुरक्षित तरीके से संभव हो रहा है।
सर्जिकल ऑंकोलॉजी विभाग में इस तकनीक से अब तक 10 मरीजों की सर्जरी हो चुकी है जिनमें 73 वर्ष से अधिक आयु के रोगी भी शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार सामान्य ऊतक से कैंसर ऊतक को अलग करना हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है लेकिन वाटर जेट सिस्टम ने इस प्रक्रिया को सरल बना दिया है। पानी की पतली धार से कैंसर ऊतक को काटकर अलग किया जाता है जिससे नाजुक अंग जैसे रक्त वाहिकाएं और पित्त नलिकाएं सुरक्षित रहती हैं। इस तकनीक की लागत करीब डेढ़ करोड़ रुपये है और इससे खून का बहाव भी बेहद कम होता है।
सर्जिकल ऑंकोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. मल्लिका तिवारी ने बताया कि पहले ऐसे ऑपरेशनों में खून बहने और अन्य जटिलताओं का खतरा अधिक रहता था, लेकिन अब यह जोखिम काफी हद तक घट गया है। परिणामस्वरूप मरीजों के ठीक होने की संभावना भी बेहतर हुई है। बीएचयू अस्पताल में प्रतिवर्ष 60 से अधिक लिवर और पित्त मार्ग कैंसर की सर्जरी होती है जिनमें न केवल पूर्वांचल बल्कि पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं।
सरकारी अस्पतालों में यह तकनीक अभी तक लखनऊ के एसजीपीजीआई और केजीएमयू में इस्तेमाल हो रही थी। अब वाराणसी के मरीजों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध हो गई है। बीएचयू अस्पताल में इसे पहली बार कार्यशील किया गया है। एक वर्ष पूर्व यहां क्यूसा मशीन से ऑपरेशन शुरू किए गए थे जो ऊतक को अलग करने की एक अनोखी तकनीक थी, लेकिन वाटर जेट सिस्टम उससे और आगे की तकनीक है। यह ब्लेड या कैंची के बिना काम करता है जिससे घाव का खतरा घटता है और सर्जरी का समय भी कम हो जाता है।
चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता ने इस उपकरण को विभाग को आवंटित करने में मदद की थी। डॉक्टरों का मानना है कि इस नई तकनीक से न केवल कैंसर ऊतकों को अलग करना आसान होगा बल्कि रक्तस्राव को नियंत्रित कर ट्यूमर को सुरक्षित रूप से निकालने में भी मदद मिलेगी। पूर्वांचल और आस-पास के राज्यों के मरीजों के लिए यह एक बड़ी राहत है क्योंकि अब उन्हें बड़े शहरों का रुख किए बिना ही उन्नत तकनीक से इलाज मिलेगा।