बीएचयू और ओस्लो विश्वविद्यालय के बीच शिक्षण व शोध पर हुई अहम चर्चा

बीएचयू ने नार्वे के ओस्लो मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय के साथ शिक्षण, शोध और अकादमिक सहयोग पर गहन चर्चा की जिससे वैश्विक अवसरों का विस्तार होगा।

Fri, 31 Oct 2025 11:14:34 - By : Tanishka upadhyay

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने एक और अंतरराष्ट्रीय कदम उठाते हुए नार्वे के ओस्लो मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय के साथ शिक्षण, शोध और शैक्षणिक सहयोग को लेकर गहन चर्चा की। दोनों विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के बीच यह बैठक बीएचयू के केंद्रीय कार्यालय में कुलपति प्रोफेसर अजित कुमार चतुर्वेदी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक संबंधों को और सुदृढ़ करना और विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए वैश्विक अवसरों का विस्तार करना था।

दस दिवसीय भारत दौरे पर आए ओस्लो विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल ने बीएचयू के विभिन्न शिक्षण और अनुसंधान कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी ली। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर चतुर्वेदी ने कहा कि बीएचयू अपने विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय शिक्षा और शोध सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग से न केवल शिक्षण की गुणवत्ता में वृद्धि होगी, बल्कि अनुसंधान कार्यों को भी नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी। कुलपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ बीएचयू की वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करने में सहायक होंगी और इससे संस्था को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी।

बैठक के दौरान दोनों संस्थानों के बीच शिक्षक एवं छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम, संयुक्त शोध परियोजनाएं, सांस्कृतिक और शैक्षणिक पहल जैसे कई महत्वपूर्ण सहयोग क्षेत्रों पर चर्चा हुई। साथ ही, विद्यार्थियों के लिए विदेशी इंटर्नशिप और एक्सचेंज प्रोग्राम को मजबूत करने पर भी सहमति बनी। इस पहल से बीएचयू के छात्र न केवल नए शैक्षणिक अनुभव प्राप्त करेंगे बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रणाली को समझने का भी अवसर मिलेगा।

ओस्लो मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि प्रोफेसर नुट ऑकलैंड ने बताया कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच पिछले दो दशकों से शैक्षणिक संबंध स्थापित हैं और अब इन्हें और व्यापक बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बीएचयू के शैक्षणिक वातावरण और अनुसंधान की परंपरा की सराहना की और कहा कि नार्वे के विद्यार्थी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और अकादमिक विरासत से बहुत कुछ सीख सकते हैं। बैठक में कुलपति प्रोफेसर चतुर्वेदी ने ओस्लो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कारा विलि को सम्मानित किया और दोनों संस्थानों के बीच दीर्घकालिक सहयोग की आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बीएचयू अपने विद्यार्थियों को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार कर रहा है। इस साझेदारी के तहत भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, डिजिटल इनोवेशन, और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में संयुक्त शोध और शैक्षणिक कार्य किए जाएंगे।

इसी क्रम में, बीएचयू महिला महाविद्यालय में जर्मनी के साहित्य, संस्कृति और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों स्टेफन रे और डेनिएला वेबर-रे ने छात्राओं से संवाद किया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अंतर-सांस्कृतिक सहयोग और कॉरपोरेट नवाचार की उपयोगिता पर अपने विचार साझा किए। वेबर-रे ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डिजिटल परिवर्तन को शिक्षा में उपयोगी बताते हुए कहा कि आधुनिक तकनीकें विद्यार्थियों के सीखने के अनुभव को और समृद्ध बना रही हैं। इस प्रकार बीएचयू की यह पहल वैश्विक शिक्षा जगत में उसकी भूमिका को और मजबूत करती है।

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