Sat, 26 Jul 2025 21:47:44 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: BHU के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में शनिवार को उस समय तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई जब लॉ फैकल्टी के छात्र और गैस्ट्रोलॉजी विभाग के एक रेजिडेंट डॉक्टर के बीच कहासुनी ने गंभीर रूप ले लिया। इलाज के लिए ओपीडी पहुंचे छात्र मिथिलेश प्रसाद गुप्ता ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने न केवल उन्हें देखने से इनकार कर दिया, बल्कि उनका हेल्थ कार्ड भी अपमानजनक ढंग से उनके चेहरे पर फेंक दिया। इसके विरोध में छात्र धरने पर बैठ गए, जिससे अस्पताल परिसर में लगभग पांच घंटे तक हंगामे की स्थिति बनी रही।
छात्र मिथिलेश प्रसाद गुप्ता के अनुसार, वह शनिवार सुबह करीब 10 बजे गैस्ट्रोलॉजी विभाग (कैमरा नंबर-19) में पहुंचे थे, जहां एक जूनियर डॉक्टर ने उन्हें तुरंत देखने से मना कर दिया और दोपहर 12 बजे आने को कहा। जब मिथिलेश दोबारा तय समय पर पहुंचे, तो आरोप है कि डॉक्टर ने उन्हें देखने से फिर इनकार कर दिया और इस बार हेल्थ डायरी को उनके चेहरे पर फेंकते हुए कहा कि “तुम्हें कोई डॉक्टर नहीं देखेगा।” छात्र का यह भी कहना है कि उस वक्त डॉक्टर चाय पी रहे थे और उन्होंने बातचीत का बेहद अपमानजनक लहजा अपनाया।
इस घटना से आहत होकर मिथिलेश ने अपने सहपाठियों को बुलाया और सभी छात्रों ने अस्पताल परिसर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। लेकिन मामला तब और बिगड़ गया जब एक सुरक्षाकर्मी ने छात्रों से अपमानजनक शब्दों में बात की। छात्रों का आरोप है कि उक्त सुरक्षाकर्मी ने उन्हें ‘हिजड़ा’ कहकर संबोधित किया और उन्हें परिसर से बाहर निकालने की कोशिश की। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि वह सुरक्षाकर्मी नशे में था और उसके फोटो तथा वीडियो भी उनके पास मौजूद हैं, जो इस आरोप को प्रमाणित करते हैं।
घटना के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। छात्रों और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों के बीच कहासुनी के साथ धक्का-मुक्की और झड़प की स्थिति बन गई। छात्रों के अनुसार, प्रॉक्टोरियल बोर्ड और सुरक्षाकर्मियों द्वारा लाइट बंद कर उनके साथ मारपीट की गई, जिसमें तीन छात्र घायल हो गए। इनमें लॉ विभाग के छात्र नीतीश सिंह और रोहन प्रजापति को गंभीर चोटें आईं हैं, जिन्हें इलाज के लिए तत्काल अलग ले जाया गया।
लगभग पांच घंटे तक चले इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। मामले की गंभीरता को देखते हुए बीएचयू चौकी प्रभारी सौरभ तिवारी, डिप्टी चीफ प्रॉक्टर और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और छात्रों को शांत करने का प्रयास किया। छात्रों से बातचीत के बाद लिखित शिकायत ली गई और जांच का आश्वासन दिया गया।
बीएचयू चौकी प्रभारी सौरभ तिवारी ने कहा, “छात्रों द्वारा दी गई शिकायत को गंभीरता से लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
छात्र मिथिलेश प्रसाद गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं इलाज कराने गया था, लेकिन डॉक्टर ने मेरी हेल्थ डायरी को मेरे चेहरे पर फेंक दिया और कहा कि कोई डॉक्टर मेरा इलाज नहीं करेगा। जब मैंने विरोध किया तो प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग आए, पर एक सुरक्षाकर्मी ने मुझे ‘हिजड़ा’ बोलकर अपमानित किया और गालियां दीं। जब हमने इसका विरोध किया तो हमें मारा गया।”
बीएचयू प्रशासन द्वारा अभी तक इस मामले में कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। छात्रों ने मांग की है कि दोषी डॉक्टर और सुरक्षाकर्मी के खिलाफ तत्काल निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, अन्यथा वे विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के समक्ष व्यापक आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।
इस घटना ने न केवल चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि बीएचयू परिसर में छात्रों की गरिमा और सुरक्षा को लेकर भी चिंता गहरा दी है। अब यह देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे प्रकरण में कितनी पारदर्शिता और गंभीरता से कार्रवाई करता है।
